हम सब मनुष्य हैं, हम सब में अनेक कमियाँ हैं, बुरी आदते हैं । जब हम अपनी कोई बुरी आदत जैसे---शराब और मांसाहार छोड़ने का संकल्प लेते हैं और इनका प्रयोग नहीं करते हैं तो यह उस बुराई का शरीर से त्याग करना है, यदि जब-तब हमारा मन इनके लिये बेचैन है, हम मन-ही-मन ललचाते हैं तो यह उस बुराई का सम्पूर्ण त्याग नही है ।
हमें इस बुराई को मन से भी छोड़ना होगा---- इसका एक ही उपाय है----- नियमित रूप से निष्काम कर्म करें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमें अपने विकारों को जीतने की शक्ति दें |
निष्काम कर्म करते रहने से धीर-धीरे मन निर्मल हो जाता है और तब ईश्वर की कृपा से मन इतना शक्तिशाली हो जाता है कि कोई भी आकर्षण-प्रलोभन उसे विचलित नही कर सकता ।
निष्काम कर्म, सत्कर्म एक जादुई करिश्मा है जो मन को निर्मल कर देता है और निरंतर सत्कर्म करते रहने से आत्मविश्वास बढ़ता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है ।
हमें इस बुराई को मन से भी छोड़ना होगा---- इसका एक ही उपाय है----- नियमित रूप से निष्काम कर्म करें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमें अपने विकारों को जीतने की शक्ति दें |
निष्काम कर्म करते रहने से धीर-धीरे मन निर्मल हो जाता है और तब ईश्वर की कृपा से मन इतना शक्तिशाली हो जाता है कि कोई भी आकर्षण-प्रलोभन उसे विचलित नही कर सकता ।
निष्काम कर्म, सत्कर्म एक जादुई करिश्मा है जो मन को निर्मल कर देता है और निरंतर सत्कर्म करते रहने से आत्मविश्वास बढ़ता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है ।
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