आज की सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि अच्छाई को दबाकर रखा जाता है, चारों तरफ बुराई और नकारात्मकता ही नजर आती है । अपहरण, बलात्कार, हत्या, आत्महत्या, लूट, डकैती, मारपीट आदि जितनी भी बुरी घटनाएं है वे सब समाचार पत्रों में, विभिन्न प्रचार साधनो में बड़े मोटे अक्षरों में विस्तार के साथ बताई जाती हैं और जीवन दर्शन, प्रेरक-प्रसंग और समाज में घटने वाली अच्छी घटनाओं को इतने विस्तार से नहीं बताया जाता | बुरी घटनाओं का इतना अधिक प्रचार-प्रसार होने से वे कम नहीं हुईं, बढ़ती जा रहीं हैं । इन्हें तो कानून-व्यवस्था , जन-जागरूकता और संवेदना के विस्तार द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है |
हमारे ऋषियों ने कहा है--- शिव नीलकंठ हैं । हलाहल विष को धारण किया । न उगला न पिया ।
शिक्षण यही है------- विषाक्तता को न तो आत्मसात करें और न ही विक्षुब्ध होकर उछालें ।
हमारे ऋषियों ने कहा है--- शिव नीलकंठ हैं । हलाहल विष को धारण किया । न उगला न पिया ।
शिक्षण यही है------- विषाक्तता को न तो आत्मसात करें और न ही विक्षुब्ध होकर उछालें ।
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