आज संसार में अनेक समस्याएं हैं, उनके निवारण के लिए अनेक आन्दोलन चलते हैं लेकिन समस्याएं कम नहीं हुईं बढ़ती ही जा रहीं हैं | यदि कोई जहरीला पेड़ है तो उसे जड़ से काटना पड़ेगा । समाज की समस्याएं मुख्य रूप से---- नशा---- सिगरेट, शराब और मांसाहार का--- इनसे देश-दुनिया के अधिकांश परिवार पीड़ित है, यही तीनो आदतें ऐसी हैं जो व्यक्ति की बुद्धि को भ्रष्ट कर देतीं हैं, उसे भीतर से खोखला कर देती हैं | प्रत्येक व्यक्ति इनसे होने वाले नुकसान को जानता है फिर भी इन्हे छोड़ता नहीं हैं |
इन तीनो समस्याओं की जड़ है--- इनका बाजार मे उपलब्ध होना । यदि कोई वस्तु बाजार में उपलब्ध न हो तो लोग कुछ दिन परेशान होंगे फिर धीरे-धीरे उसे भूल जाएंगे ।
ऐसे नशे की वस्तुओं का व्यापार पूरी दुनिया में करोड़ों-अरबों रूपये का है, उन्हें बाजार में आने से कैसे रोका जाये ?
आज जो लोग इन वस्तुओं के उत्पादन में, बिक्री में, विज्ञापन में, ग्राहकों को तरह-तरह से आकर्षित करने आदि विभिन्न तरीके से इन तीनो बुराइयों के व्यापार से जुड़े हैं--- उन्ही के विचारों में परिवर्तन की इस संसार को आवश्यकता है ।
लोगों को यह समझ में आना चाहिए कि दूसरों को मिटाकर, गलत रास्ते के लिए प्रेरित कर कभी भी जीवन में सुख-शांति नहीं आ सकती ।
व्यक्ति स्वयं अपने जीवन का अवलोकन करे---- क्या ऐसे व्यवसाय से असीमित धन-संपति कमा लेने से वह स्वयं और उसके परिवार के सब लोग स्वस्थ हैं ? रात को मुलायम बिस्तर पर चैन की नींद आती है ? कहीं कोई भय तो नहीं ? ---------- ?
धन जीवन के लिए जरूरी है लेकिन उससे ज्यादा जरुरी है ईश्वर की कृपा, और यह कृपा मिलती है-- सन्मार्ग पर चलने से । जिसे ईश्वर की कृपा प्राप्त हो जाती है वह निडर हो जाता है और इस आपा-धापी के संसार में आनन्द से रहता है ।
इन तीनो समस्याओं की जड़ है--- इनका बाजार मे उपलब्ध होना । यदि कोई वस्तु बाजार में उपलब्ध न हो तो लोग कुछ दिन परेशान होंगे फिर धीरे-धीरे उसे भूल जाएंगे ।
ऐसे नशे की वस्तुओं का व्यापार पूरी दुनिया में करोड़ों-अरबों रूपये का है, उन्हें बाजार में आने से कैसे रोका जाये ?
आज जो लोग इन वस्तुओं के उत्पादन में, बिक्री में, विज्ञापन में, ग्राहकों को तरह-तरह से आकर्षित करने आदि विभिन्न तरीके से इन तीनो बुराइयों के व्यापार से जुड़े हैं--- उन्ही के विचारों में परिवर्तन की इस संसार को आवश्यकता है ।
लोगों को यह समझ में आना चाहिए कि दूसरों को मिटाकर, गलत रास्ते के लिए प्रेरित कर कभी भी जीवन में सुख-शांति नहीं आ सकती ।
व्यक्ति स्वयं अपने जीवन का अवलोकन करे---- क्या ऐसे व्यवसाय से असीमित धन-संपति कमा लेने से वह स्वयं और उसके परिवार के सब लोग स्वस्थ हैं ? रात को मुलायम बिस्तर पर चैन की नींद आती है ? कहीं कोई भय तो नहीं ? ---------- ?
धन जीवन के लिए जरूरी है लेकिन उससे ज्यादा जरुरी है ईश्वर की कृपा, और यह कृपा मिलती है-- सन्मार्ग पर चलने से । जिसे ईश्वर की कृपा प्राप्त हो जाती है वह निडर हो जाता है और इस आपा-धापी के संसार में आनन्द से रहता है ।
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