अहंकार, ईर्ष्या-द्वेष आदि मानव मन की विभिन्न कमजोरियां हैं इन्ही के वशीभूत होकर व्यक्ति दूसरों के विरुद्ध षडयंत्र रचता है, जिससे वह ईर्ष्या करता है उसे नीचा दिखाने की, अपने रास्ते से हटाने की जी-तोड़ कोशिश करता है । इस प्रक्रिया में वह अनेक लोगों कों तरह-तरह के लालच देकर अपने पक्ष में करता है । बुराई में आकर्षण होता है ओर तत्काल का लाभ दिखाई देता है इसलिये ऐसे षडयंत्रकारियों का ग्रुप बढ़ता जाता है ।
ऐसे लोगों से हम कैसे जीतें ? बिच्छू का स्वभाव डंक मारना होता है, वह बदलता नहीं । ऐसे लोगों में अहंकार इतना अधिक होता है कि वे स्वयं को बदलना , सुधारना चाहते ही नहीं ।
हमारे आचार्य का , ऋषियों का शिक्षण हैं कि ऎसे लोगों कि उपेक्षा कर दो । ऐसे लोग आपके साथ कैसा भी बुरा व्यवहार करें , उस ओर से तटस्थ रहो , उस पर ध्यान मत दो ,
ऐसे लोगों से वाद -विवाद कर , लड़ाई कर उन्हें पराजित करने की कोशिश मत करो ।
ऐसे लोग अपने जीवन के अमूल्य क्षण ईर्ष्या -द्वेष में बरबाद कर रहें हैं ------
इस अवधि में आप निराश न हो , निरन्तर सही रास्ते से अपनी योग्यता बढ़ाने का प्रयत्न करते रहो , निष्काम कर्म करना न भूलना , सेवा परोपकार का कार्य करते हुए अपना कर्तव्य पालन अवश्य करें --- निष्काम कर्म में ही वह शक्ति है कि ऐसे षड्यंत्रकारियों के बीच भी प्रकृति , ईश्वर हमारी रक्षा करते हैं ।
ईश्वर के स्मरण के साथ श्रेष्ठ राह पर चलते हुए जब आप अपनी योग्यता बढ़ाने का प्रयत्न करेंगे तो वह दिन आ ही जायेगा जब आप श्रेष्ठ होंगे , सफल होंगे और उस दिन ऐसे ईर्ष्यालु लोग स्वत: ही पराजित हो जायेंगे ।
ऐसे लोगों से हम कैसे जीतें ? बिच्छू का स्वभाव डंक मारना होता है, वह बदलता नहीं । ऐसे लोगों में अहंकार इतना अधिक होता है कि वे स्वयं को बदलना , सुधारना चाहते ही नहीं ।
हमारे आचार्य का , ऋषियों का शिक्षण हैं कि ऎसे लोगों कि उपेक्षा कर दो । ऐसे लोग आपके साथ कैसा भी बुरा व्यवहार करें , उस ओर से तटस्थ रहो , उस पर ध्यान मत दो ,
ऐसे लोगों से वाद -विवाद कर , लड़ाई कर उन्हें पराजित करने की कोशिश मत करो ।
ऐसे लोग अपने जीवन के अमूल्य क्षण ईर्ष्या -द्वेष में बरबाद कर रहें हैं ------
इस अवधि में आप निराश न हो , निरन्तर सही रास्ते से अपनी योग्यता बढ़ाने का प्रयत्न करते रहो , निष्काम कर्म करना न भूलना , सेवा परोपकार का कार्य करते हुए अपना कर्तव्य पालन अवश्य करें --- निष्काम कर्म में ही वह शक्ति है कि ऐसे षड्यंत्रकारियों के बीच भी प्रकृति , ईश्वर हमारी रक्षा करते हैं ।
ईश्वर के स्मरण के साथ श्रेष्ठ राह पर चलते हुए जब आप अपनी योग्यता बढ़ाने का प्रयत्न करेंगे तो वह दिन आ ही जायेगा जब आप श्रेष्ठ होंगे , सफल होंगे और उस दिन ऐसे ईर्ष्यालु लोग स्वत: ही पराजित हो जायेंगे ।
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