श्रेष्ठ राह ही अध्यात्म का पथ है और इस राह पर चलने के लिए हमें असीमित धैर्य और अज्ञात शक्ति पर अटूट विश्वास की जरुरत है । हमें इस बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिये कि भगवान के यहां कोई सौदेबाजी नही चलती, कहीं कोई दुकान नहीं खुली है कि हमने आज से निष्काम कर्म शुरू किये और तुरंत ही, जल्दी से जल्दी हमें फायदा हो, हमारी समस्याएँ हल हो जायें
हमें अपना कर्तव्य पालन करना है और अपनी गलतियों को दूर करने के प्रयास के साथ सतत सत्कर्म करते रहना है, सत्कर्म का कोई भी मौका हम हाथ से जाने न दें । जिंदगी की किस समस्या के निवारण में कौन सा सत्कर्म काम में आ जाये, यह समायोजन प्रकृति में अपने आप होता रहता है । सत्कर्म करने में हमारी भावनाएं पवित्र हों, उन्हें बोझ समझकर या दिखावे के लिये न करे । जैसे हमे जीवित रहने के लिए भोजन, पानी और हवा अनिवार्य है , उसी तरह सुख-शान्ति से रहने के लिए सत्कर्म जरुरी हैं । सत्कर्म की पूंजी निरंतर बढ़ते रहें, उनके सत्परिणाम स्वयं महसूस होंगे ।
हमें अपना कर्तव्य पालन करना है और अपनी गलतियों को दूर करने के प्रयास के साथ सतत सत्कर्म करते रहना है, सत्कर्म का कोई भी मौका हम हाथ से जाने न दें । जिंदगी की किस समस्या के निवारण में कौन सा सत्कर्म काम में आ जाये, यह समायोजन प्रकृति में अपने आप होता रहता है । सत्कर्म करने में हमारी भावनाएं पवित्र हों, उन्हें बोझ समझकर या दिखावे के लिये न करे । जैसे हमे जीवित रहने के लिए भोजन, पानी और हवा अनिवार्य है , उसी तरह सुख-शान्ति से रहने के लिए सत्कर्म जरुरी हैं । सत्कर्म की पूंजी निरंतर बढ़ते रहें, उनके सत्परिणाम स्वयं महसूस होंगे ।
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