मन की शान्ति अनमोल है, जो करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी नहीं मिलती , लेकिन यदि हम अपनी आदतों में छोटे-छोटे सुधार करते चलें और निष्काम कर्म करते रहें तो एक दिन ऐसा आ ही जाता है जब प्रकृति हम पर दयालु हो जाती है और ईश्वर की कृपा से इस आपा-धापी के संसार में अनेक विषमताओं के बीच भी हमारा मन शांत रहने लगता है ।
कुछ विकार तो ऐसे हैं जैसे ईर्ष्या-द्वेष, कामना-वासना--- इनका तूफान तो हमारे मन में उठता है, जब मन निर्मल होगा तो ये विकार भी दूर हो जायेंगे | इसलिए हमारा प्रयास हो कि हम उन विकारों को पहले दूर करें , जिन्हें दूर करना हमारे हाथ में है जैसे सर्वप्रथम हम मांसाहार छोड़ दें |
संसार में एक-से-बढ़कर-एक शाकाहारी वस्तुएं हैं जो हमारे मन को तृप्ति देती हैं इसलिए मांसाहार छोड़ना कोई कठिन काम नहीं है | मांसाहार का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि जिस प्राणी को यह कष्ट, यह यातना दी जाती है वह मूक है, बोलता नहीं है इसलिए उसको होने वाला कष्ट , मांसाहार करने वाले के जीवन में भी किसी- न-किसी रूप में आता है | उस प्राणी की चीत्कार उसी वायुमंडल में रहती हैं जिसमें हम सब साँस लेते हैं | ऐसे नकारात्मक वातावरण में मन अशांत रहता है
|आरम्भ में सप्ताह में अपने धर्म के अनुसार कोई तीन दिन मांसाहार न करें फिर धीरे-धीरे जब इसका फायदा समझ में आने लगे तो पूरी तरह से छोड़ दे , इससे मन शांत रहेगा और निरपराध प्राणियों की हिंसा के पाप से भी बचेंगे ।
कुछ विकार तो ऐसे हैं जैसे ईर्ष्या-द्वेष, कामना-वासना--- इनका तूफान तो हमारे मन में उठता है, जब मन निर्मल होगा तो ये विकार भी दूर हो जायेंगे | इसलिए हमारा प्रयास हो कि हम उन विकारों को पहले दूर करें , जिन्हें दूर करना हमारे हाथ में है जैसे सर्वप्रथम हम मांसाहार छोड़ दें |
संसार में एक-से-बढ़कर-एक शाकाहारी वस्तुएं हैं जो हमारे मन को तृप्ति देती हैं इसलिए मांसाहार छोड़ना कोई कठिन काम नहीं है | मांसाहार का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि जिस प्राणी को यह कष्ट, यह यातना दी जाती है वह मूक है, बोलता नहीं है इसलिए उसको होने वाला कष्ट , मांसाहार करने वाले के जीवन में भी किसी- न-किसी रूप में आता है | उस प्राणी की चीत्कार उसी वायुमंडल में रहती हैं जिसमें हम सब साँस लेते हैं | ऐसे नकारात्मक वातावरण में मन अशांत रहता है
|आरम्भ में सप्ताह में अपने धर्म के अनुसार कोई तीन दिन मांसाहार न करें फिर धीरे-धीरे जब इसका फायदा समझ में आने लगे तो पूरी तरह से छोड़ दे , इससे मन शांत रहेगा और निरपराध प्राणियों की हिंसा के पाप से भी बचेंगे ।
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