आज के समय में मनुष्य पर दुर्बुद्धि का ऐसा प्रकोप है कि उसे अपने जीवन के सुख दिखाई नहीं देते वह अपने सुख से आनंदित नहीं होता और दूसरों का सुख - शान्ति देखकर निरंतर दुःखी होता रहता है | इसी कारण ऐसे व्यक्ति अपनी सारी शक्ति दूसरों को तरह -तरह से परेशान करने में खपा देते हैं स्वयं अपने जीवन में कोई सकारात्मक और श्रेय हासिल करने वाला कार्य नहीं कर पाते हम दूसरों के स्वभाव को नहीं बदल सकते । हम अपनी द्रष्टि अपने लक्ष्य पर रखें , अपना जीवन बनायें । सतत जागरूक रहें कि ईर्ष्यालू लोगों के प्रहार से अपनी कोई बड़ी क्षति न हो । ऐसे लोगों से वाद - विवाद कर या झगड़ा कर अपनी उर्जा न गंवायें । जागरूक रहकर ही ऐसे लोगों के दांवपेंच से बचा जा सकता है ।
दुष्टों और दुश्मनों के बीच भी हमें सुरक्षित रहने की कला सीखनी होगी । यह कला हम सीख सकते हैं अपने आत्म विश्वास से । और आत्मविश्वासी होने के लिए ईश्वर विश्वास बहुत जरुरी है । ईश्वर विश्वासी होने का अर्थ है -- अपना कर्तव्य पालन करना , नेक रस्ते पर चलना , कभी अहंकार नहीं करना और ईश्वर का स्मरण करते हुए सत्कर्म करना ।
ऐसा करने से हमें कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध होता है , हमारे भीतर एक समझ विकसित होती है कि हमें क्या करना है , क्या नहीं करना है । हमारे सही निर्णय पर ही जीवन की सफलता निर्भर होती है ।
दुष्टों और दुश्मनों के बीच भी हमें सुरक्षित रहने की कला सीखनी होगी । यह कला हम सीख सकते हैं अपने आत्म विश्वास से । और आत्मविश्वासी होने के लिए ईश्वर विश्वास बहुत जरुरी है । ईश्वर विश्वासी होने का अर्थ है -- अपना कर्तव्य पालन करना , नेक रस्ते पर चलना , कभी अहंकार नहीं करना और ईश्वर का स्मरण करते हुए सत्कर्म करना ।
ऐसा करने से हमें कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध होता है , हमारे भीतर एक समझ विकसित होती है कि हमें क्या करना है , क्या नहीं करना है । हमारे सही निर्णय पर ही जीवन की सफलता निर्भर होती है ।
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