यह कितना आश्चर्य है कि जो जितना संपन्न है , जिसके पास सुरक्षा के सारे साधन मौजूद हैं वह उतना ही डरता है | हमें एक बात याद रखनी चाहिए कि ईश्वर ने हमें गिनकर साँसे दी हैं उनमे से एक भी कम या ज्यादा नहीं हो सकती । व्यक्ति के पास जो कुछ है उसे उसके खोने का भय सताता रहता है । इस भय से बचने का एक ही रास्ता है ---- हम उस असीम सत्ता पर आस्था रखें , चिंता में जीवन गुजारने के बजाय अपने जीवन को सार्थक करें । यदि धन - सम्पदा बहुत है तो उसका कुछ भाग लोक - कल्याण में लगायें, केवल धन बांटना ही पर्याप्त नहीं है , उसका उपयोग सकारात्मक होना चाहिए । इसी तरह यदि व्यक्ति के पास पद - प्रतिष्ठा है तो वह इसका प्रयोग लोगों का शोषण करने के लिए नहीं करे , अपनी शक्ति का प्रयोग वह समाज के कल्याण के लिए करे । ऐसा करने से भय अपने आप दूर हो जायेगा । जब व्यक्ति दूसरों के हित की बात सोचता है और सत्कर्म करता है तो स्वयं प्रकृति उसकी रक्षा करती है ।
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