आज समाज में धन की प्रतिष्ठा है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति उचित - अनुचित तरीके से धन कमाने के लिए प्रयासरत है । यही कारण है कि कोई भी अपना काम ईमानदारी से नहीं करता । कर्तव्यपालन में ईमानदारी न होने के कारण ही अपराध इतने बढ़ गये हैं । धनी अपने धन के बल पर अपराध कर के स्वतंत्र घूमता है , दंड का भय न होने के कारण ही अराजकता बढती है ।
लोगों की मानसिकता प्रदूषित हो गई है । गरम जलवायु के देश में शराब , मांसाहार , तम्बाकू आदि नशे का सेवन व्यक्ति के भीतर के पशुत्व को जाग्रत कर देता है , अश्लील साहित्य , फिल्मे आदि से मनुष्य के सोचने - समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है ।
संस्कृति की रक्षा करनी है तो समाज को जागरूक होकर प्रत्येक दिशा में सुधार करने होंगे ।
लोगों की मानसिकता प्रदूषित हो गई है । गरम जलवायु के देश में शराब , मांसाहार , तम्बाकू आदि नशे का सेवन व्यक्ति के भीतर के पशुत्व को जाग्रत कर देता है , अश्लील साहित्य , फिल्मे आदि से मनुष्य के सोचने - समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है ।
संस्कृति की रक्षा करनी है तो समाज को जागरूक होकर प्रत्येक दिशा में सुधार करने होंगे ।
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