वर्तमान समय में यदि हम अपने चारों तरफ नजर डालें तो यह बात स्पष्ट देखने को मिलेगी कि जो गरीब है वह अपनी समस्याओं में उलझा हुआ है , उसके पास सुख - सुविधा के साधन बहुत कम हैं लेकिन उन कम साधनों में भी वह तीज -त्योहार मनाकर, छोटी - छोटी खुशियों में भी आनंदित हो जाता है l आश्चर्य की बात तो ये है कि जो समर्थ हैं , जिनके पास पद है , प्रतिष्ठा है सुख - सुविधा के सब साधन हैं वे ईर्ष्या के रोग के शिकार हैं । ऐसे व्यक्ति दूसरों की तरक्की , किसी की सुख - शान्ति देख नहीं पाते , ओछे हथकण्डे अपनाकर दूसरों को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं ।
यदि हमारे जीवन की दिशा सही है , हम कभी किसी का अहित नहीं करते , ईश्वरीय विधान में विश्वास रख सही तरीके से जीवन जीते हैं , सत्कर्म करते हैं तो किसी की कुटिल चालों से हमारा कोई अहित नहीं होगा । आज के समय की समस्याओं से निपटने के लिए जरुरी है कि हमारा विवेक जाग्रत हो । सत्कर्म करें और ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें । कहते हैं जिससे ईश्वर प्रसन्न होते हैं उसे सद्बुद्धि देते है और जिससे नाराज हो जाते हैं उसे दुर्बुद्धि देते हैं ।
यदि हमारे जीवन की दिशा सही है , हम कभी किसी का अहित नहीं करते , ईश्वरीय विधान में विश्वास रख सही तरीके से जीवन जीते हैं , सत्कर्म करते हैं तो किसी की कुटिल चालों से हमारा कोई अहित नहीं होगा । आज के समय की समस्याओं से निपटने के लिए जरुरी है कि हमारा विवेक जाग्रत हो । सत्कर्म करें और ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें । कहते हैं जिससे ईश्वर प्रसन्न होते हैं उसे सद्बुद्धि देते है और जिससे नाराज हो जाते हैं उसे दुर्बुद्धि देते हैं ।
No comments:
Post a Comment