इस संसार में ऐसा कोई नहीं जिसके जीवन में कष्ट - कठिनाइयाँ न आती हों । जब कष्ट और मुसीबतें जीवन में आ ही गई हैं तो उन्हें ईश्वरीय व्यवस्था मानकर ख़ुशी से स्वीकार करें । कष्ट जब सहना ही है तो रो कर , उनका ढिंढोरा पीट कर उन्हें और बढ़ाने से कोई फायदा नहीं ।
कष्टों को हम शान्त रहकर सहन करें । विपत्ति के समय में सकारात्मक कार्य में और सत्साहित्य के अध्ययन में स्वयं को व्यस्त रखें जिससे उन कष्टों की चुभन कम होगी ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कष्ट के समय में भी सत्कर्म करना न भूलें , ईश्वर पर विश्वास रखें , ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें इन कष्टों को सहने की शक्ति दें और हमारे जीवन को सही दिशा दें । यह जीवन भी एक सफर है, यात्रा है जरुरी नहीं कि हमें पक्की सड़कों और हरियाली के रास्ते से गुजरना पड़े । यह संभव है कि अपने जीवन की सुनहरी सुबह तक पहुँचने का रास्ता झाड-झंखाड़ और काँटो से भरा हो । जिसे लोग कष्ट कहते हैं वो वास्तव में गंतव्य तक पहुँचने के लिए बीच - बीच में पड़ने वाले छोटे-छोटे स्टेशन हैं ।
कष्टों को हम शान्त रहकर सहन करें । विपत्ति के समय में सकारात्मक कार्य में और सत्साहित्य के अध्ययन में स्वयं को व्यस्त रखें जिससे उन कष्टों की चुभन कम होगी ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कष्ट के समय में भी सत्कर्म करना न भूलें , ईश्वर पर विश्वास रखें , ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें इन कष्टों को सहने की शक्ति दें और हमारे जीवन को सही दिशा दें । यह जीवन भी एक सफर है, यात्रा है जरुरी नहीं कि हमें पक्की सड़कों और हरियाली के रास्ते से गुजरना पड़े । यह संभव है कि अपने जीवन की सुनहरी सुबह तक पहुँचने का रास्ता झाड-झंखाड़ और काँटो से भरा हो । जिसे लोग कष्ट कहते हैं वो वास्तव में गंतव्य तक पहुँचने के लिए बीच - बीच में पड़ने वाले छोटे-छोटे स्टेशन हैं ।
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