मनुष्य के संस्कार प्रबल होते हैं , इसलिए वह ..अपने स्वभाव को बदलना ही नहीं चाहता ।
जैसे व्यवसाय में मनुष्य जोखिम उठाता है , नई चुनौतियों को स्वीकार करता है उसी तरह जीवन में भी विचारों को बदलने की जोखिम उठानी चाहिए जैसे -- जिन्हें नशे की लत है , सिगरेट बहुत पीते हैं , तम्बाकू के शौकीन हैं --- वे कम से कम एक महीने के लिए इस आदत को छोड़ने का संकल्प लें , और फिर देखें कि इन आदतों को छोड़ने का उनके स्वास्थ्य पर , कार्य क्षेत्र पर , पारिवारिक जीवन पर और उनकी शक्ल - सूरत पर --- क्या प्रभाव पड़ता है l
अपने जीवन में एक महीने यह प्रयोग करें और फिर स्वयं निर्णय लें की इन आदतों को बढ़ाना अच्छा है या इन आदतों को हमेशा के लिए छोड़ देना चाहिए । ।
जैसे व्यवसाय में मनुष्य जोखिम उठाता है , नई चुनौतियों को स्वीकार करता है उसी तरह जीवन में भी विचारों को बदलने की जोखिम उठानी चाहिए जैसे -- जिन्हें नशे की लत है , सिगरेट बहुत पीते हैं , तम्बाकू के शौकीन हैं --- वे कम से कम एक महीने के लिए इस आदत को छोड़ने का संकल्प लें , और फिर देखें कि इन आदतों को छोड़ने का उनके स्वास्थ्य पर , कार्य क्षेत्र पर , पारिवारिक जीवन पर और उनकी शक्ल - सूरत पर --- क्या प्रभाव पड़ता है l
अपने जीवन में एक महीने यह प्रयोग करें और फिर स्वयं निर्णय लें की इन आदतों को बढ़ाना अच्छा है या इन आदतों को हमेशा के लिए छोड़ देना चाहिए । ।
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