अधिकांश लोग अपना सारा जीवन इसी उधेड़बुन में गँवा देते हैं कि---- हमें सम्मान नहीं मिला , किसी ने हमारी बात को महत्व नहीं दिया , हमारी आलोचना की , हंसी उड़ाई , हमारा अपमान किया ---- । हमें इस सत्य को हमेशा याद रखना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वभाव, अपने संस्कार के अनुरूप ही किसी से व्यवहार करता है , वह अपने व्यवहार से स्वयं को हमारे सामने प्रकट कर देता है जैसे --- बिच्छू है , वह डंक तो मारेगा ही ।
अब हमारे भीतर यह विवेक होना चाहिए कि ऐसे भिन्न - भिन्न प्रकृति के लोगो द्वारा किये जाने वाले व्यवहार की हम कैसे प्रतिक्रिया करें ।
अन्याय तो कभी सहना ही नहीं चाहिए , उसका प्रतिकार तो अवश्य करना चाहिए , लेकिन कैसे ?
इसी के लिए विवेक की जरुरत है कि ' सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे '
अत्याचारी , अनाचारी कमजोर पड़ जाये और हम पर कोई आंच न आये ।
यह समझ स्कूल , कॉलेज की शिक्षा से नहीं आती l यह तो जीवन जीने की कला है जो श्रेष्ठ साहित्य को पढने से , महापुरुषों के जीवन प्रसंग का अध्ययन - मनन करने से आती है । । इसके लिए जरुरी है कि हमारे अपने जीवन की दिशा सही हो , ईमानदारी , सच्चाई , कर्तव्य पालन आदि विभिन्न सद्गुणों को अपने भीतर एकत्र करें , सन्मार्ग पर चलें । l इन सबके साथ यदि श्रद्धा और विश्वास से गायत्री मन्त्र जपें तो आप चमत्कार अनुभव करेंगे कि कैसे विभिन्न समस्याओं से आप बच निकलते हैं , कैसे विध्न - बाधाएं कटती जाती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता जाता है ।
हमारे पास साँसे गिनती की हैं , इसलिए तर्क में न उलझें । व्यर्थ की बातों में समय व ऊर्जा न गंवाकर अपनी सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ें ।
अब हमारे भीतर यह विवेक होना चाहिए कि ऐसे भिन्न - भिन्न प्रकृति के लोगो द्वारा किये जाने वाले व्यवहार की हम कैसे प्रतिक्रिया करें ।
अन्याय तो कभी सहना ही नहीं चाहिए , उसका प्रतिकार तो अवश्य करना चाहिए , लेकिन कैसे ?
इसी के लिए विवेक की जरुरत है कि ' सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे '
अत्याचारी , अनाचारी कमजोर पड़ जाये और हम पर कोई आंच न आये ।
यह समझ स्कूल , कॉलेज की शिक्षा से नहीं आती l यह तो जीवन जीने की कला है जो श्रेष्ठ साहित्य को पढने से , महापुरुषों के जीवन प्रसंग का अध्ययन - मनन करने से आती है । । इसके लिए जरुरी है कि हमारे अपने जीवन की दिशा सही हो , ईमानदारी , सच्चाई , कर्तव्य पालन आदि विभिन्न सद्गुणों को अपने भीतर एकत्र करें , सन्मार्ग पर चलें । l इन सबके साथ यदि श्रद्धा और विश्वास से गायत्री मन्त्र जपें तो आप चमत्कार अनुभव करेंगे कि कैसे विभिन्न समस्याओं से आप बच निकलते हैं , कैसे विध्न - बाधाएं कटती जाती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता जाता है ।
हमारे पास साँसे गिनती की हैं , इसलिए तर्क में न उलझें । व्यर्थ की बातों में समय व ऊर्जा न गंवाकर अपनी सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ें ।
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