अपने जीवन को सुखमय बनाना प्रत्येक व्यक्ति के अपने हाथ में है । सुख शान्तिपूर्ण जीवन जीने की सच्ची चाहत होनी चाहिए । पारिवारिक संबंध अच्छे हों , उनमे दिखावा न हो । बच्चे , माता - पिता का ही प्रतिरूप होते हैं इसलिए दो काम एक साथ होने चाहिए ---- बच्चों को अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाये और सबसे जरुरी है की उनके माता - पिता और परिवार में जो बड़ी उम्र के सदस्य हैं उनके जीवन की दिशा सही हो । ये लोग जब भ्रष्टाचार से दूर , सच्चाई और ईमानदारी से रहेंगे , चरित्र अच्छा होगा उसी का अनुकरण नई पीढ़ी करेगी ।
एक वैचारिक क्रांति की जरुरत है । लोग प्रकृति के दण्ड विधान को समझें कि गलत काम करने से , अपराध करने से --- कैसे उस पाप की छाया स्वयं पर और बच्चों पर पड़ती है , कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि सब कुछ होते हुए भी जीवन में सूनापन होता है , मानसिक शान्ति नहीं रहती ---- यह समझ जब आएगी तभी व्यक्ति सुधरेगा ।
एक वैचारिक क्रांति की जरुरत है । लोग प्रकृति के दण्ड विधान को समझें कि गलत काम करने से , अपराध करने से --- कैसे उस पाप की छाया स्वयं पर और बच्चों पर पड़ती है , कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि सब कुछ होते हुए भी जीवन में सूनापन होता है , मानसिक शान्ति नहीं रहती ---- यह समझ जब आएगी तभी व्यक्ति सुधरेगा ।
No comments:
Post a Comment