पीड़ित और शोषित में दो वर्ग हैं ----- निर्धन वर्ग और नारी । संसार का कोई भी देश हो , कोई जाति , कोई धर्म हो , परिवार हो या कार्यालय सब अपने - अपने तरीके से इनका शोषण व उत्पीड़न करते हैं और यह उत्पीड़न युगों से हो रहा है ।
आज हम वैज्ञानिक युग में जी रहें हैं , महिलाओं को आगे बढ़ने का , आत्म निर्भर होने का अधिकार है लेकिन पुरुषों की मानसिकता नहीं बदली l अहंकार और नारी को आगे बढ़ते देख ईर्ष्या का भाव ही महिलाओं के उत्पीड़न का बड़ा कारण है । जिसे समाज में अपहरण , बलात्कार , हत्या , बालिका भ्रूण हत्या , दहेज़ उत्पीड़न आदि विभिन्न रूपों में देखा जा सकता है l
ऐसे अपराधों में व्यक्ति की विकृत मानसिकता होती है । निरन्तर मांसाहार करने से मनुष्य में पशु प्रवृति बढ्ती जाती है , लेकिन इसके साथ शराब , तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से बुद्धि स्थिर नहीं रहती , और शरीर में इतनी शक्ति नहीं रहती कि अपने जैसे लोगों से भी लड़ सके । इसलिए उसका अहंकार , उसकी अपनी समस्याएं विकराल रूप में , महिलाओं के प्रति अपराध और पारिवारिक विघटन के रूप में दिखाई देती हैं । हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है , इस तरह के व्यवहार से पुरुषों को भी वह सम्मान , वह इज्जत नहीं मिल पाती जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ा दे ।
संसार में शान्ति चाहिए तो लोगों को अपनी जीवन शैली को बदलना होगा । महिलाओं का सम्मान तो बहुत दूर की बात है , केवल उत्पीड़ित ही न करें , उनके अस्तित्व को स्वीकार करें तभी संसार में शान्ति होगी । लक्ष्मी - पूजा , नवरात्रि पूजन आदि का पुण्य तो तभी मिलेगा जब परिवार में नारी और पुरुष एक दूसरे के महत्व को स्वीकार करेंगे । पारिवारिक शान्ति से ही समाज में शान्ति होगी ।
आज हम वैज्ञानिक युग में जी रहें हैं , महिलाओं को आगे बढ़ने का , आत्म निर्भर होने का अधिकार है लेकिन पुरुषों की मानसिकता नहीं बदली l अहंकार और नारी को आगे बढ़ते देख ईर्ष्या का भाव ही महिलाओं के उत्पीड़न का बड़ा कारण है । जिसे समाज में अपहरण , बलात्कार , हत्या , बालिका भ्रूण हत्या , दहेज़ उत्पीड़न आदि विभिन्न रूपों में देखा जा सकता है l
ऐसे अपराधों में व्यक्ति की विकृत मानसिकता होती है । निरन्तर मांसाहार करने से मनुष्य में पशु प्रवृति बढ्ती जाती है , लेकिन इसके साथ शराब , तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से बुद्धि स्थिर नहीं रहती , और शरीर में इतनी शक्ति नहीं रहती कि अपने जैसे लोगों से भी लड़ सके । इसलिए उसका अहंकार , उसकी अपनी समस्याएं विकराल रूप में , महिलाओं के प्रति अपराध और पारिवारिक विघटन के रूप में दिखाई देती हैं । हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है , इस तरह के व्यवहार से पुरुषों को भी वह सम्मान , वह इज्जत नहीं मिल पाती जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ा दे ।
संसार में शान्ति चाहिए तो लोगों को अपनी जीवन शैली को बदलना होगा । महिलाओं का सम्मान तो बहुत दूर की बात है , केवल उत्पीड़ित ही न करें , उनके अस्तित्व को स्वीकार करें तभी संसार में शान्ति होगी । लक्ष्मी - पूजा , नवरात्रि पूजन आदि का पुण्य तो तभी मिलेगा जब परिवार में नारी और पुरुष एक दूसरे के महत्व को स्वीकार करेंगे । पारिवारिक शान्ति से ही समाज में शान्ति होगी ।
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