मनुष्यों से मिलकर समाज बना है | यदि लोगों में तुनुक मिजाजी , असहिष्णुता , बात का बतंगढ़ बनाना जैसे दुर्गुण हैं तो समाज में शान्ति कैसे हो सकती है | कई बार समाज में भयंकर उत्पात हो जाते हैं , उनके मूल में देखा जाये तो कारण बहुत छोटे होते हैं , लेकिन मनुष्य का अहंकार , उसकी असहिष्णुता आदि ऐसी दुष्प्रवृत्तियों के कारण ही समाज में लड़ाई - झगड़े आदि तनाव उत्पन्न होते हैं |
यदि बाल्यावस्था से ही लोगों को नैतिक शिक्षा , जीवन जीने की कला जैसे विषयों की अनिवार्य
शिक्षा दी जाये , धर्म ग्रंथों जैसे गीता का शिक्ष्ण अनिवार्य हो |
यदि बाल्यावस्था से ही लोगों को नैतिक शिक्षा , जीवन जीने की कला जैसे विषयों की अनिवार्य
शिक्षा दी जाये , धर्म ग्रंथों जैसे गीता का शिक्ष्ण अनिवार्य हो |
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