आज धन का लालच लोगों पर इस कदर हावी है कि रिश्तों का कोई महत्व नहीं रहा l आज से बहुत समय पहले तक वर पक्ष के लोग विवाह के समय जितना दहेज मिल गया , उससे संतुष्ट हो जाते थे और रिश्तों को निभाते थे l तृष्णा, लालच एक बीमारी है इसका सम्बन्ध किसी जाति या धर्म से नहीं , यह तो मन की कमजोरी है l लोभ , कामना , वासना से पीड़ित व्यक्ति एक बार के दहेज से संतुष्ट नहीं होता l वह बार - बार दहेज चाहता है l ऐसी स्थिति में कोई धन कमाने के लिए वैध - अवैध तरीके अपनाता है तो कोई दुबारा दहेज पाने के के लिए निर्दयी हो जाता है l यदि समाज में ऐसी जागरूकता आ जाये कि यदि किसी विवाहिता ने आत्महत्या की है या किसी की हत्या की गई है तो उस व्यक्ति का दुबारा विवाह होना असंभव हो जाये , उसे समाज स्वीकार न करे | पुरुष और नारी से मिलकर ही यह समाज बना है l यदि नारी जागरूक हो जाये , उसका आत्मिक बल जाग्रत हो जाये तो नारी पर होने वाले अत्याचार समाप्त हो जाएँ l
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