संवेदना न होने से परिवार टूट रहे हैं , अत्याचार और अन्याय बढ़ा है l पहले छोटी - छोटी रियासते थीं , तो यह स्पष्ट था कि वहीँ के शक्तिशाली कमजोर पर अत्याचार कर रहे हैं l अब वैश्विकरण का युग है , बाजार की तरह अत्याचार , अन्याय , भ्रष्टाचार और अपराध ---- यह सब भी वैश्विक स्तर पर है l आज इंटरनेट के युग में यह समझना बहुत कठिन है कि सामने जो अपराध या अत्याचार कर रहा है उसकी डोर किस के हाथ में है , अपनी कमजोरियों के कारण वह किसके इशारों पर काम कर रहा है l आज की सबसे बड़ी जरुरत है --हम अपना आत्मिक बल बढ़ाएं l नि:स्वार्थ भाव से , ईमानदारी से कर्तव्य पालन करना ही एक तपस्या है l ऐसा कर के शान्ति से रहा जा सकता है है
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