नारी और पुरुष एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं , एक पहिया अच्छा हो और दूसरा पंक्चर हो तो गाड़ी नहीं चलेगी l इसी तरह नारी और पुरुष में से एक वर्ग सन्मार्ग पर चले और दूसरा स्वेच्छाचारी हो तो समाज का सही ढंग से विकास नहीं हो सकता l सबसे बड़ी जरुरत यही है कि नारी और पुरुष दोनों ही सद्गुणों को अपने जीवन में अपनाएं तभी वे आने वाली पीढ़ी को सही दिशा दे सकेंगे l
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