मनुष्य के सारे प्रयास शरीर को स्वस्थ रखने के लिए होते हैं , मन को स्वस्थ और परिष्कृत करने का कोई प्रयास मनुष्य नहीं करता l काम , क्रोध , लोभ , ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ जिसके मन में है वह न तो खुद शान्ति से रहता है और न और किसी को शान्ति से जीने देता है l एक व्यक्ति जो क्रोधी है , अहंकारी है , तो उसका यह दुर्गुण परिवार , समाज सब जगह अशान्ति उत्पन्न करता है l जिसे सिगरेट आदि नशे की लत है वह समाज में कोई सकारात्मक योगदान नहीं देते वरन अपने जैसे पचास और नशेड़ी तैयार कर लेते हैं l इसी प्रकार जो लोभी है , लालची है वह अपने साथ बेईमानों की पूरी श्रंखला तैयार कर लेता है l ऐसे दुष्प्रवृत्तियों वाले लोगों की अधिकता से ही दंगे , अपराध , लूटमार होते हैं l आज जरुरत है कि पूरी दुनिया में ऐसी संस्थाएं हों जो लोगों को ईमानदारी , सच्चाई , संवेदना , ईश्वरविश्वास , धैर्य , कर्तव्यपालन जैसे सद्गुण सिखाएं और क्रोध , लालच , ईर्ष्या-द्वेष जैसे दुर्गुणों को त्यागना , आदि की शिक्षा देकर ' नैतिकता ' में बड़ी -बड़ी डिग्री दें l इन सब के साथ जरुरी है लोग आलस को त्यागे , कर्मयोगी बने l
No comments:
Post a Comment