कहते हैं -- अच्छाई में गजब का आकर्षण होता है , इसलिए पापी से पापी भी अपने परिवार में , समाज में स्वयं को अच्छा दिखाना चाहता है l उसके व्यक्तित्व के अँधेरे पक्ष पर , उसके अवगुणों पर परदा पड़ा रहे , इसके लिए ऐसे लोगों को कितनों के आगे नाक रगड़नी पड़ती है , कितने ही लोगों को मुंह बंद रखने के लिए धन देना पड़ता है l फिर इस धन को कमाने के लिए बेईमानी , भ्रष्टाचार करना पड़ता है l किसी गड़बड़ी में फँस न जाएँ , यह तनाव दिमाग में रहता है l इस तनाव को दूर करने के लिए नशा करते हैं l धीरे - धीरे जीवन पतन के गर्त में गिरता जाता है l
बाह्य रूप से देखने पर ऐसे लोगों का सुख - वैभव का जीवन दिखाई देता है लेकिन वास्तविकता में कितनी ' बेचारगी ' है l
मनुष्य अपनी कमजोरियों के कारण ही अपनी दुर्गति कराता है l बेहतर यही है कि जैसे वास्तव में हैं , वैसे ही दिखाई दें l कहते हैं -- मनुष्य के व्यक्तित्व में इतने छिद्र होते हैं कि एक दिन सच्चाई बाहर आ ही जाती है l अपनी कमजोरियों को , अपनी गलती को स्वीकार करना ही सबसे बड़ी वीरता है , ऐसा कर के ही व्यक्ति तनावरहित जीवन जी सकता है l
बाह्य रूप से देखने पर ऐसे लोगों का सुख - वैभव का जीवन दिखाई देता है लेकिन वास्तविकता में कितनी ' बेचारगी ' है l
मनुष्य अपनी कमजोरियों के कारण ही अपनी दुर्गति कराता है l बेहतर यही है कि जैसे वास्तव में हैं , वैसे ही दिखाई दें l कहते हैं -- मनुष्य के व्यक्तित्व में इतने छिद्र होते हैं कि एक दिन सच्चाई बाहर आ ही जाती है l अपनी कमजोरियों को , अपनी गलती को स्वीकार करना ही सबसे बड़ी वीरता है , ऐसा कर के ही व्यक्ति तनावरहित जीवन जी सकता है l
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