Saturday 6 October 2018

दुर्बुद्धि के कारण मनुष्य की दुर्गति होती है

 इस  सम्बन्ध  में   एक  कथा  है -----  राजा  नहुष   को  पुण्य  कार्यों  के  फलस्वरूप  स्वर्ग  जाने  का  अवसर  मिला   और  इंद्र  पद  के  अधिकारी  हो  गए  l   इतना  उच्च  पद  पाकर  वे  मदांध  हो  गए   और  सोचने  लगे  कि  इंद्र  के  अंत:पुर  पर  भी  उनका  अधिकार  होना  चाहिए   और  इन्द्राणी  समेत  उनकी  सब  सखियों  को   उनकी  सेवा  में  रहना  चाहिए  l  यह   सूचना    इन्द्राणी  तक  पहुंची  तो  वे  बहुत  विचलित  हो   गईं  और  वे  इस  समस्या  से  बचने  का  उपाय  सोचने  लगीं  l 
  इन्द्राणी  ने   कूटनीतिक   चाल  चली  l  उन्होंने  नहुष  को  कहला  भेजा  कि   वे  सप्त ऋषियों  को  पालकी  में  जोतकर  उस  पर  बैठकर   अंत:पुर  आयें  तभी  उनका  स्वागत  होगा   l 
मदांध  को  भला - बुरा  नहीं  सूझता  ,  उन्होंने   तत्काल  यह  प्रस्ताव  स्वीकार  कर  लिया   और  सप्त ऋषियों  को  पालकी  में  जोतकर   अंत:पुर  चले   l   मार्ग  की  दूरी  में  लगने  वाला  विलम्ब  उनसे  सहन  नहीं  हो  रहा  था   l  ऋषि  कमजोर  थे  ,  नहुष  पालकी  में  बैठे  थे  l  इतनी  भारी  पालकी  को  उठाकर  वे  धीरे - धीरे  चल  रहे  थे  l    ऋषियों  को  दौड़ने  का  आदेश  देते  हुए   वे  अपनी  भाषा  में  सर्पि  सर्पि  कहने  लगे   l  ऋषियों  से  यह  अपमान   सहा  नहीं  गया  ,  उन्हें  क्रोध  भी  आ  गया   l  उनने  पालकी  को  धरती  पर  पटक  दिया   और  शाप  दिया   कि  सर्पि  सर्पि  कहने  वाले  को  सर्प  की  योनि  मिले   l  नहुष  पालकी  से  गिरकर  धरती  पर  आ  गए  और  सर्प  की  योनि  में  बुरे  दिन  बिताने  लगे  l  

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