Friday 5 October 2018

संसार में अशांति का कारण मनुष्य का नैतिक पतन है

 कहते  हैं  हम  सबके  मन  के  तार  ईश्वर  से  जुड़े  हैं  ,  इसलिए   व्यक्ति   की  भावनाएं  कैसी  हैं  , उसके  अंत:करण  में   कैसे  विचार - भावनाएं  हैं  यह  सब  ईश्वर  जानते  हैं  l  इस  सम्बन्ध  में  एक  कथा  है  ---- नारदजी  एक  बार  धरती  पर  भ्रमण  को  आये   l  उन्होंने  देखा  धरती  पर  धार्मिक  उत्सव , कर्मकांड  बहुत  हो  रहे  हैं  ,  सब  लोग  अपने - अपने  तरीके  से  भक्ति  में  मग्न  हैं  ,  लेकिन  अशांति  बहुत  है ,  मनुष्य , पशु - पक्षी ,  पर्यावरण  --- कहीं  कोई  रौनक  नहीं  है ,  अपराध , दुष्कर्म ,  लूटपाट ,  आत्महत्या  आदि  नकारात्मकता  बढ़  गई  है  l    नारदजी  का  मन  नहीं  लगा  और  उन्होंने  भगवान  से  यह  सब  व्यथा  कही   और    मानव  के  कल्याण  का  उपाय पूछा   l   भगवान  ने  कहा -- सच  जानने  के  लिए    तुम  उस  समय  धरती  पर  जाओ  , जब   पृथ्वीवासी  अपने - अपने  भगवान  को  सुला  देते  हैं   l   ईश्वर  के  नाम  का , उनके  स्थान  का  उपयोग   जिस  तरह  करते  हैं   वह  अब  प्रकृति  से  सहन  नहीं  हो  रहा  है   l 
  भगवान  ने  कहा  -- जब  ये  धार्मिक  स्थल  शिक्षा  के  और  लोक कल्याण  के  केंद्र  बनेंगे ,  उनके  माध्यम  से  सद्प्रवृतियों  और  सद्विचारों  का  प्रचार - प्रसार  होगा   तभी  संसार  में  सुख - शांति  होगी  l
  मनुष्यों  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  देखकर  नारदजी  का  मन  व्यथित  हो  गया  l 

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