कहते हैं हम सबके मन के तार ईश्वर से जुड़े हैं , इसलिए व्यक्ति की भावनाएं कैसी हैं , उसके अंत:करण में कैसे विचार - भावनाएं हैं यह सब ईश्वर जानते हैं l इस सम्बन्ध में एक कथा है ---- नारदजी एक बार धरती पर भ्रमण को आये l उन्होंने देखा धरती पर धार्मिक उत्सव , कर्मकांड बहुत हो रहे हैं , सब लोग अपने - अपने तरीके से भक्ति में मग्न हैं , लेकिन अशांति बहुत है , मनुष्य , पशु - पक्षी , पर्यावरण --- कहीं कोई रौनक नहीं है , अपराध , दुष्कर्म , लूटपाट , आत्महत्या आदि नकारात्मकता बढ़ गई है l नारदजी का मन नहीं लगा और उन्होंने भगवान से यह सब व्यथा कही और मानव के कल्याण का उपाय पूछा l भगवान ने कहा -- सच जानने के लिए तुम उस समय धरती पर जाओ , जब पृथ्वीवासी अपने - अपने भगवान को सुला देते हैं l ईश्वर के नाम का , उनके स्थान का उपयोग जिस तरह करते हैं वह अब प्रकृति से सहन नहीं हो रहा है l
भगवान ने कहा -- जब ये धार्मिक स्थल शिक्षा के और लोक कल्याण के केंद्र बनेंगे , उनके माध्यम से सद्प्रवृतियों और सद्विचारों का प्रचार - प्रसार होगा तभी संसार में सुख - शांति होगी l
मनुष्यों पर दुर्बुद्धि का प्रकोप देखकर नारदजी का मन व्यथित हो गया l
भगवान ने कहा -- जब ये धार्मिक स्थल शिक्षा के और लोक कल्याण के केंद्र बनेंगे , उनके माध्यम से सद्प्रवृतियों और सद्विचारों का प्रचार - प्रसार होगा तभी संसार में सुख - शांति होगी l
मनुष्यों पर दुर्बुद्धि का प्रकोप देखकर नारदजी का मन व्यथित हो गया l
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