परमाणु युद्ध को तो रोका जा सकता है लेकिन जो अशान्ति मानवीय कमजोरियों----- ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, अहंकार, लालच, तृष्णा, अपनी ही जाति का वर्चस्व कायम रखना जैसी संकुचित भावनाओं के कारण उत्पन्न होती है, उसे कैसे दूर करें ?
ऐसी अशान्ति का सबसे बड़ा केन्द्र ' कार्य-स्थल ' होते हैं जहां कुछ लोग बड़े अधिकारियों और नेताओं की चापलूसी कर अपना वर्चस्व कायम कर लेते हैं और फिर अपनी शक्ति का दुरूपयोग दूसरों पर हुकूमत चलाने और अपना लाभ कमाने के लिए करते हैं । जो लोग उनके कहे अनुसार न चलें उन्हें बेहद उत्पीड़ित करते हैं | इसका परिणाम समाज में व्यापक अशान्ति के रूप में सामने आता है । यदि उत्पीड़न करने वाले सफल न हो पायें तो उनका अहंकार फुफकारने लगता है,
यदि उत्पीड़ित होने वाला कमजोर है तो वह तनाव, डिप्रेशन आदि बीमारियों से ग्रस्त हो जाता
है । कभी-कभी तनाव और निराशा इतनी बढ़ जाती है कि आत्महत्या और पागलपन जैसी स्थिति उत्पन्न होती है । व्यक्ति रिटायर हो जाता है, लेकिन कार्यकाल की कटु स्मृतियों को नहीं भूल
पाता , आखिरी साँस तक वे उसे शूल की तरह चुभती रहती हैं ।
ऐसे उत्पीड़न का मूल कारण है---' पैसा ' । यह उत्पीड़न उन कार्य-सथल पर ज्यादा होता है जहां विभिन्न तरीकों से भ्रष्टाचार कर के धन कमाया जा सकता है अथवा विभिन्न स्रोतों से विभिन्न योजनाओं के लिए अपार धन-राशि आती है ।
' पैसा ' मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है, धन-राशि देखते ही मनुष्य का मन बेलगाम हो जाता है और बुद्धि अपने करतब दिखाने लगती है ।
आज व्यक्ति ने अशान्ति को ही अपना साथी बना लिया है, वो इस स्थिति से निकलना नहीं
चाहता ।
ऐसी अशान्ति का सबसे बड़ा केन्द्र ' कार्य-स्थल ' होते हैं जहां कुछ लोग बड़े अधिकारियों और नेताओं की चापलूसी कर अपना वर्चस्व कायम कर लेते हैं और फिर अपनी शक्ति का दुरूपयोग दूसरों पर हुकूमत चलाने और अपना लाभ कमाने के लिए करते हैं । जो लोग उनके कहे अनुसार न चलें उन्हें बेहद उत्पीड़ित करते हैं | इसका परिणाम समाज में व्यापक अशान्ति के रूप में सामने आता है । यदि उत्पीड़न करने वाले सफल न हो पायें तो उनका अहंकार फुफकारने लगता है,
यदि उत्पीड़ित होने वाला कमजोर है तो वह तनाव, डिप्रेशन आदि बीमारियों से ग्रस्त हो जाता
है । कभी-कभी तनाव और निराशा इतनी बढ़ जाती है कि आत्महत्या और पागलपन जैसी स्थिति उत्पन्न होती है । व्यक्ति रिटायर हो जाता है, लेकिन कार्यकाल की कटु स्मृतियों को नहीं भूल
पाता , आखिरी साँस तक वे उसे शूल की तरह चुभती रहती हैं ।
ऐसे उत्पीड़न का मूल कारण है---' पैसा ' । यह उत्पीड़न उन कार्य-सथल पर ज्यादा होता है जहां विभिन्न तरीकों से भ्रष्टाचार कर के धन कमाया जा सकता है अथवा विभिन्न स्रोतों से विभिन्न योजनाओं के लिए अपार धन-राशि आती है ।
' पैसा ' मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है, धन-राशि देखते ही मनुष्य का मन बेलगाम हो जाता है और बुद्धि अपने करतब दिखाने लगती है ।
आज व्यक्ति ने अशान्ति को ही अपना साथी बना लिया है, वो इस स्थिति से निकलना नहीं
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