मनुष्य जीवन है तो समस्याएं भी हैं । पारिवारिक समस्याओं के अनेक कारण होते हैं लेकिन व्यक्ति जहां कार्य करता है, जहां 8-10 घन्टे व्यतीत करता है, उस कार्य-स्थल का तनाव उसके जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है । इन कार्य-स्थल पर तनाव धर्म या जाति के कारण नहीं होता, यहां तो ईर्ष्या, द्वेष, भ्रष्टाचार, लोभ, अहंकार आदि दुर्गुणों के वशीभूत होकर व्यक्ति अपने ही धर्म, अपनी ही जाति के लोगों को परेशान करता है, उन्हें धक्का देकर आगे बढ़ना चाहता है ।
आज के समय में ऐसे लोगों की अधिकता है । इसी कारण अशांति है । यदि स्वयं में दोष-दुर्गुण हैं तो केवल भाषण देकर बच्चों को सही दिशा नहीं दे सकते । अपनी दुष्प्रवृत्ति को दूर कर , श्रेष्ठ आचरण से ही नई पीढ़ी के जीवन को सही दिशा दी जा सकती है ।
आज के समय में ऐसे लोगों की अधिकता है । इसी कारण अशांति है । यदि स्वयं में दोष-दुर्गुण हैं तो केवल भाषण देकर बच्चों को सही दिशा नहीं दे सकते । अपनी दुष्प्रवृत्ति को दूर कर , श्रेष्ठ आचरण से ही नई पीढ़ी के जीवन को सही दिशा दी जा सकती है ।
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