आज संसार में कितने ही ऐसे लोग हैं जो उन कार्यों से जुड़े हैं जिन्हें अनैतिक कहा जाता है । ऐसे लोगों को अब ईश्वर का , प्रकृति की नाराजगी का भय नहीं रहा । धन के बल पर और विभिन्न हथकंडे अपना कर कानून से भी बच जाते हैं । ईश्वरीय विधान के अनुसार उन्हें समाज को पतन की ओर ले जाने वाले कार्य करने से प्रकृति का दंड भी मिलता है , लेकिन अब उन्हें इसकी आदत बन चुकी है । अनेक तर्क - कुतर्क कर के वे स्वयं को सही सिद्ध करते हैं ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इनका समूह बढ़ता जा रहा है , अनैतिकता का अन्धकार बढ़ता जा रहा है । ऐसा क्यों है ? यदि हम इनके कार्य - व्यवहार को देखें तो उसमे एकरूपता है जैसे ------
एक शराबी है । वह स्वयं शराब पीता है , उसके नशे में स्वयं डूबता है तब वह दूसरों को भी शराब पीने को कहता है । और अपने जीवन में हजारों लोगों को अपने साथ शराब पीने में जोड़ लेता है । इसी तरह जुआरी या अन्य अनैतिक कार्य करने वाले , पहले स्वयं गलत कार्यों से जुड़ते हैं फिर उसमे अन्य लोगों को भी जोड़ लेते हैं । इसका अर्थ हुआ कि उनके विचार और कार्यों में एकरूपता है , जैसा कहते हैं वैसा वे स्वयं करते हैं , इसीलिए उनका समूह बढ़ता जा रहा है ।
जब बुराई इस तरह से बढ़ सकती है तो अच्छाई क्यों नहीं ?
जब व्यक्ति का स्वयं का आचरण अच्छा होगा , स्वयं सन्मार्ग पर चलकर लोगों को श्रेष्ठता की राह पर चलने के लिए प्रेरित करेगा तब सन्मार्ग पर चलने वालों का संगठन भी बहुत बड़ा बड़ा व शक्तिशाली हो जायेगा जो इस अंधकार को दूर कर देगा ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इनका समूह बढ़ता जा रहा है , अनैतिकता का अन्धकार बढ़ता जा रहा है । ऐसा क्यों है ? यदि हम इनके कार्य - व्यवहार को देखें तो उसमे एकरूपता है जैसे ------
एक शराबी है । वह स्वयं शराब पीता है , उसके नशे में स्वयं डूबता है तब वह दूसरों को भी शराब पीने को कहता है । और अपने जीवन में हजारों लोगों को अपने साथ शराब पीने में जोड़ लेता है । इसी तरह जुआरी या अन्य अनैतिक कार्य करने वाले , पहले स्वयं गलत कार्यों से जुड़ते हैं फिर उसमे अन्य लोगों को भी जोड़ लेते हैं । इसका अर्थ हुआ कि उनके विचार और कार्यों में एकरूपता है , जैसा कहते हैं वैसा वे स्वयं करते हैं , इसीलिए उनका समूह बढ़ता जा रहा है ।
जब बुराई इस तरह से बढ़ सकती है तो अच्छाई क्यों नहीं ?
जब व्यक्ति का स्वयं का आचरण अच्छा होगा , स्वयं सन्मार्ग पर चलकर लोगों को श्रेष्ठता की राह पर चलने के लिए प्रेरित करेगा तब सन्मार्ग पर चलने वालों का संगठन भी बहुत बड़ा बड़ा व शक्तिशाली हो जायेगा जो इस अंधकार को दूर कर देगा ।
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