वर्तमान समय में हम देखें तो संसार में विभिन्न धर्मो के अनेक पूजा - प्रार्थना के स्थल हैं | और इनकी संख्या धीरे - धीरे बढती ही जा रही है ।
यह भी एक आश्चर्य है कि संसार में ऐसे धार्मिक स्थानों की संख्या बहुत है , जहाँ विभिन्न धर्मों के अनुयायी जाते हैं और अपने तरीके से ईश्वर की पूजा करते हैं लेकिन फिर भी संसार में शान्ति नहीं है , आतंक और युद्ध का खतरा है । इसका कारण यही है कि मनुष्य ने मंदिर , मस्जिद , चर्च , गुरूद्वारे आदि तो बहुत बनवा दिए लेकिन न तो स्वयं के अवगुणों को दूर किया और न ही इनके माध्यम से नैतिकता का , लोगों के चरित्र -गठन का कोई प्रयास किया ।
हमें यह बात समझनी होगी कि केवल बाहरी कर्मकांड करने से सुख - शान्ति , नहीं मिलती ।
अपने अवगुणों को दूर करने पर और परमार्थ करने पर ही मन को शान्ति मिलती है ।
भगवान चाहे किसी भी धर्म के हों , वे प्रकट होकर भेंट - पूजा नहीं लेते । भगवन के नाम पर धर्म के ठेकेदार ये सारी भेंट - पूजा रख लेते हैं | प्रत्येक व्यक्ति अपनी भावना के अनुसार अपने धर्म को मानने को स्वतंत्र है लेकिन यदि शान्ति चाहिए , सुख - चैन की नींद चाहिए तो अपने दोष - दुर्गुणों को दूर करना होगा और सद्गुणों को जीवन में अपनाना होगा ।
यह भी एक आश्चर्य है कि संसार में ऐसे धार्मिक स्थानों की संख्या बहुत है , जहाँ विभिन्न धर्मों के अनुयायी जाते हैं और अपने तरीके से ईश्वर की पूजा करते हैं लेकिन फिर भी संसार में शान्ति नहीं है , आतंक और युद्ध का खतरा है । इसका कारण यही है कि मनुष्य ने मंदिर , मस्जिद , चर्च , गुरूद्वारे आदि तो बहुत बनवा दिए लेकिन न तो स्वयं के अवगुणों को दूर किया और न ही इनके माध्यम से नैतिकता का , लोगों के चरित्र -गठन का कोई प्रयास किया ।
हमें यह बात समझनी होगी कि केवल बाहरी कर्मकांड करने से सुख - शान्ति , नहीं मिलती ।
अपने अवगुणों को दूर करने पर और परमार्थ करने पर ही मन को शान्ति मिलती है ।
भगवान चाहे किसी भी धर्म के हों , वे प्रकट होकर भेंट - पूजा नहीं लेते । भगवन के नाम पर धर्म के ठेकेदार ये सारी भेंट - पूजा रख लेते हैं | प्रत्येक व्यक्ति अपनी भावना के अनुसार अपने धर्म को मानने को स्वतंत्र है लेकिन यदि शान्ति चाहिए , सुख - चैन की नींद चाहिए तो अपने दोष - दुर्गुणों को दूर करना होगा और सद्गुणों को जीवन में अपनाना होगा ।
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