यदि घर - परिवार में शान्ति न हो तो व्यक्ति अपने ऑफिस में , सामाजिक जीवन में भी अशान्त रहेगा । उसकी यह अशान्ति , कुंठा समाज में विभिन्न रूपों में दिखाई देगी । ऐसे अशांत मन वाले जब बहुत से लोग एक साथ हो जाते हैं तो वे समाज में अशान्ति उत्पन्न करते हैं ।
इसलिए सबसे ज्यादा जरुरी है कि पारिवारिक जीवन तनाव रहित हो । परिवार में शान्ति के लिए यह बहुत जरुरी है कि परिवार के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करें , लेकिन उसके बदले किसी से कोई उम्मीद न करें । छोटी - छोटी बातों पर परेशान होकर उन्हें बड़ा न बनायें ।
यदि पारिवारिक जीवन में पंद्रह दिन शान्ति रहती है और एक दिन कलह होती है तो उन पंद्रह दिनों की शान्ति के लिए एक दिन की कलह को सहन करें , उसे तूल देकर बढ़ाएं नहीं ।
परिवार में अपने मन को शांत रखने के लिए एक - दूसरे की अच्छाइयों को देखें । जब झगड़ा होता है तब बुराइयों को न देखें , उसके गुणों को और परिवार में उसका क्या योगदान है इस पर ध्यान दें तभी शान्ति रहेगी ।
इसलिए सबसे ज्यादा जरुरी है कि पारिवारिक जीवन तनाव रहित हो । परिवार में शान्ति के लिए यह बहुत जरुरी है कि परिवार के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करें , लेकिन उसके बदले किसी से कोई उम्मीद न करें । छोटी - छोटी बातों पर परेशान होकर उन्हें बड़ा न बनायें ।
यदि पारिवारिक जीवन में पंद्रह दिन शान्ति रहती है और एक दिन कलह होती है तो उन पंद्रह दिनों की शान्ति के लिए एक दिन की कलह को सहन करें , उसे तूल देकर बढ़ाएं नहीं ।
परिवार में अपने मन को शांत रखने के लिए एक - दूसरे की अच्छाइयों को देखें । जब झगड़ा होता है तब बुराइयों को न देखें , उसके गुणों को और परिवार में उसका क्या योगदान है इस पर ध्यान दें तभी शान्ति रहेगी ।
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