सुख - शान्ति से जीने का मूल मन्त्र यही है कि हम अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखें । परिवार की जितनी आय है उस हिसाब से बजट बनाकर धन खर्च करें । जहाँ तक संभव हो कर्ज न लें । शिक्षा , भोजन , वस्त्र तथा विभिन्न सुविधाओं आदि पर अपनी आय के अनुपात में ही धन खर्च कर के शान्ति से रहा जा सकता है । आज के समय में अशान्ति का एक बहुत बड़ा कारण है कि लोग अपनी आय के अनुपात में धन खर्च नहीं करते , अमीरों की नकल में विभिन्न कार्यों के लिए बहुत अधिक कर्ज लेते हैं । अचानक कोई बड़ा नुकसान हो जाये तो कर्ज के भार की वजह से निराशा में डूब जाते हैं ।
व्यक्ति को अपनी समझ विकसित करनी होगी कि वह दिखावा और झूठी शान - शौकत के लिए कर्ज लेकर आपा - धापी की जिंदगी जीना चाहता है या अपनी आय के अनुपात में धन खर्च कर , आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रयास करते हुए शान्ति से जीवन जीना चाहता है ।
व्यक्ति को अपनी समझ विकसित करनी होगी कि वह दिखावा और झूठी शान - शौकत के लिए कर्ज लेकर आपा - धापी की जिंदगी जीना चाहता है या अपनी आय के अनुपात में धन खर्च कर , आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रयास करते हुए शान्ति से जीवन जीना चाहता है ।
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