आज के समय में अधिकांश लोग ऐसे हैं जो अपने धार्मिक स्थल पर जायेंगे , भजन - पूजन करते हैं , बहुत दान पुण्य भी करते हैं लेकिन व्याहारिक जीवन में झूठ , बेईमानी , भ्रष्टाचार , दूसरों को अकारण तंग करना ऐसे गलत कार्यों में संलग्न है , फिर भी वे धार्मिक कहे जाते हैं और समाज में उनका सम्मान है |
सच्चे अर्थों में धार्मिक होना पड़ेगा , मेहनत और ईमानदारी से काम करके अपने बाह्य जीवन को सफल बनाना होगा और परोपकार , सेवा निष्काम भाव से करके अपने मन को निर्मल बनाना होगा जिससे जीवन में सुख शान्ति प्राप्त हो सके |
सच्चे अर्थों में धार्मिक होना पड़ेगा , मेहनत और ईमानदारी से काम करके अपने बाह्य जीवन को सफल बनाना होगा और परोपकार , सेवा निष्काम भाव से करके अपने मन को निर्मल बनाना होगा जिससे जीवन में सुख शान्ति प्राप्त हो सके |
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