आज की सबसे बड़ी समस्या है कि लोगों को जीना नहीं आता l गरीब के जीवन में विभिन्न परेशानी आती हैं तो अपनी गरीबी के साथ वह उन्हें भी झेल लेता है और अपने सीमित साधनों में तीज - त्योहार आदि अवसर पर अपने परिवार और अपने समाज के साथ खुशियाँ भी मना लेता है l कष्ट कठिनाइयों में रहने से उसकी संघर्ष क्षमता विकसित हो जाती है l
लेकिन जो लोग सुख - सुविधाओं में रहते हैं , आरामतलबी का जीवन जीते हैं , उनकी श्रम करने की आदत नहीं होती l थोड़ी सी परेशानी भी उन्हें विचलित कर देती है l
शिक्षा ऐसी हो जो व्यक्ति को श्रम करना , कर्तव्य पालन करना , ईमानदारी और सच्चाई से रहना सिखाये l लोग थोडा सा धन - वैभव और किताबी ज्ञान होने से अहंकारी हो जाते है , उनके पैर जमीन पर नहीं पड़ते l ऐसे लोगों का अहंकार सम्पूर्ण समाज के लिए घातक हो जाता है l
नम्रता , करुणा , संवेदना , परोपकार जैसी भावनाएं जब जीवन की शुरुआत से ही बच्चों को सिखाई जाएँगी तभी एक स्वस्थ , सुन्दर समाज होगा l इन भावनाओं के अभाव में व्यक्ति निर्दयी हो जाता है l
लेकिन जो लोग सुख - सुविधाओं में रहते हैं , आरामतलबी का जीवन जीते हैं , उनकी श्रम करने की आदत नहीं होती l थोड़ी सी परेशानी भी उन्हें विचलित कर देती है l
शिक्षा ऐसी हो जो व्यक्ति को श्रम करना , कर्तव्य पालन करना , ईमानदारी और सच्चाई से रहना सिखाये l लोग थोडा सा धन - वैभव और किताबी ज्ञान होने से अहंकारी हो जाते है , उनके पैर जमीन पर नहीं पड़ते l ऐसे लोगों का अहंकार सम्पूर्ण समाज के लिए घातक हो जाता है l
नम्रता , करुणा , संवेदना , परोपकार जैसी भावनाएं जब जीवन की शुरुआत से ही बच्चों को सिखाई जाएँगी तभी एक स्वस्थ , सुन्दर समाज होगा l इन भावनाओं के अभाव में व्यक्ति निर्दयी हो जाता है l
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