समाज में तरह - तरह भेद होते हैं ---- ऊँच-नीच , अमीर- गरीब धर्म के आधार पर वर्ग भेद l इन सब से बढ़कर एक और वर्ग भेद संसार में बहुत समय से है --- यह योग्यता के आधार पर है ---- योग्य और अयोग्य l जो वास्तव में योग्य है , ईमानदारी और समर्पण भाव से कार्य करते हैं , वे अपने साथ औरों को भी आगे बढ़ाते हैं , इससे पूरा समाज और राष्ट्र तरक्की करता है l
लेकिन जब किसी समाज में दुर्बुद्धि का प्रकोप होता है तब अयोग्य व्यक्ति बड़ी मजबूती से संगठित हो जाते हैं l अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए वे ऐसा ताना - बाना बुनते हैं कि किसी की योग्यता से समाज परिचित ही न हो पाए l क्योंकि यदि योग्य व्यक्ति सामने आ गया तो उनकी अयोग्यता जग - जाहिर हो जाएगी l संगठित होना ऐसे लोगों की मज़बूरी है l मनुष्यों में यह कछुआ प्रवृति होती है , कोई आगे बड़े तो उसकी टांग खींच लेते हैं l ऐसे लोगों की वजह से ही समाज में अशांति , अपराध , भ्रष्टाचार बढ़ता है l
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जरुरी है कि सच्चाई और ईमानदारी से कार्य करने वाले अपने कर्तव्य - पथ पर डटे रहें , संगठित हों , पलायन न करें l हर रात्रि के बाद सुबह अवश्य होती है l
लेकिन जब किसी समाज में दुर्बुद्धि का प्रकोप होता है तब अयोग्य व्यक्ति बड़ी मजबूती से संगठित हो जाते हैं l अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए वे ऐसा ताना - बाना बुनते हैं कि किसी की योग्यता से समाज परिचित ही न हो पाए l क्योंकि यदि योग्य व्यक्ति सामने आ गया तो उनकी अयोग्यता जग - जाहिर हो जाएगी l संगठित होना ऐसे लोगों की मज़बूरी है l मनुष्यों में यह कछुआ प्रवृति होती है , कोई आगे बड़े तो उसकी टांग खींच लेते हैं l ऐसे लोगों की वजह से ही समाज में अशांति , अपराध , भ्रष्टाचार बढ़ता है l
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जरुरी है कि सच्चाई और ईमानदारी से कार्य करने वाले अपने कर्तव्य - पथ पर डटे रहें , संगठित हों , पलायन न करें l हर रात्रि के बाद सुबह अवश्य होती है l
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