आज संसार पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है , परिवार हो , संस्था हो , समाज हो या विभिन्न राष्ट्र हों , जिसमे थोड़ी भी ताकत है , वह जी - जान से इस प्रयास में है कि कोई दूसरा आगे न बढ़ पाए l इसके लिए नैतिकता को दरकिनार कर के सब प्रयास किये जाते हैं l
अब आज का समय वीरता से आमने - सामने लड़ने का नहीं रहा l अब कायरता बढ़ गई है l लोग इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं कि दूसरे का अहित हो जाये और कानून तो बहुत दूर है , कोई दोष भी न दे सके , आज गिरावट की कोई सीमा नहीं रह गई है जैसे -- कोई का पारिवारिक जीवन सुखी है , तो ईर्ष्यालु लोग ऐसा हर संभव प्रयास करेंगे कि रिश्ते में दरार आ जाये , कोई सुखी कैसे है ? इसी तरह किसी परिवार में बच्चे - युवा भविष्य के प्रति जागरूक हैं , जिम्मेदार हैं तो ईर्ष्यालु लोग अपनी तरक्की का प्रयास नहीं करेंगे , उनका प्रयास होगा कि कैसे उन युवाओं का अहित करें , उनकी संगत बिगाड़ दें , नशा आदि बुरी आदतें लग जाएँ , आलसी बन जाएँ , हर तरीके से वे खुशहाली मिटाने का प्रयास करते हैं , ताकि तरक्की न कर पायें l
यही बात राष्ट्र के सम्बन्ध में लागू होती है l बच्चे असुरक्षित रहें , युवाओं के सामने तरह - तरह के नशे , विज्ञापन , फ़िल्में , टीवी , और मोबाइल के माध्यम से अश्लीलता परोस कर उनका चरित्र हनन कर दो और बिना मेहनत का पैसा देकर उन्हें आलसी बना दो l ऐसा होने पर परिवार हो या राष्ट्र विकास नहीं होता और न ही संस्कृति सुरक्षित होती है l
अब बचे केवल प्रौढ़ और वृद्ध --- अमर होकर कोई नहीं आया , लेकिन सोच यह है कि कोई सुख छूट न जाये , पैसा , भोग - विलासिता हाथ से न निकल जाये l नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा , अच्छे संस्कार न देकर , ऐसे ही चले जायेंगे l इससे न तो संसार में यश मिलेगा और न ही ईश्वर माफ करेगा l
नई पीढ़ी का निर्माण करने वाले भी देश में हैं , लेकिन पतन का तूफान बहुत घना है , बचाने वाले कम हैं l अब नई पीढ़ी को स्वयं जागरूक होने की जरुरत है l संसार में अच्छाई- बुराई दोनों हैं , अच्छाई को चुने , परिश्रमी बने l
अब आज का समय वीरता से आमने - सामने लड़ने का नहीं रहा l अब कायरता बढ़ गई है l लोग इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं कि दूसरे का अहित हो जाये और कानून तो बहुत दूर है , कोई दोष भी न दे सके , आज गिरावट की कोई सीमा नहीं रह गई है जैसे -- कोई का पारिवारिक जीवन सुखी है , तो ईर्ष्यालु लोग ऐसा हर संभव प्रयास करेंगे कि रिश्ते में दरार आ जाये , कोई सुखी कैसे है ? इसी तरह किसी परिवार में बच्चे - युवा भविष्य के प्रति जागरूक हैं , जिम्मेदार हैं तो ईर्ष्यालु लोग अपनी तरक्की का प्रयास नहीं करेंगे , उनका प्रयास होगा कि कैसे उन युवाओं का अहित करें , उनकी संगत बिगाड़ दें , नशा आदि बुरी आदतें लग जाएँ , आलसी बन जाएँ , हर तरीके से वे खुशहाली मिटाने का प्रयास करते हैं , ताकि तरक्की न कर पायें l
यही बात राष्ट्र के सम्बन्ध में लागू होती है l बच्चे असुरक्षित रहें , युवाओं के सामने तरह - तरह के नशे , विज्ञापन , फ़िल्में , टीवी , और मोबाइल के माध्यम से अश्लीलता परोस कर उनका चरित्र हनन कर दो और बिना मेहनत का पैसा देकर उन्हें आलसी बना दो l ऐसा होने पर परिवार हो या राष्ट्र विकास नहीं होता और न ही संस्कृति सुरक्षित होती है l
अब बचे केवल प्रौढ़ और वृद्ध --- अमर होकर कोई नहीं आया , लेकिन सोच यह है कि कोई सुख छूट न जाये , पैसा , भोग - विलासिता हाथ से न निकल जाये l नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा , अच्छे संस्कार न देकर , ऐसे ही चले जायेंगे l इससे न तो संसार में यश मिलेगा और न ही ईश्वर माफ करेगा l
नई पीढ़ी का निर्माण करने वाले भी देश में हैं , लेकिन पतन का तूफान बहुत घना है , बचाने वाले कम हैं l अब नई पीढ़ी को स्वयं जागरूक होने की जरुरत है l संसार में अच्छाई- बुराई दोनों हैं , अच्छाई को चुने , परिश्रमी बने l
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