जो पुरुष वीर होते हैं वे कभी नारी पर अत्याचार नहीं करते , इतिहास ऐसे वीर पुरुषों के उदाहरण से भरा पड़ा है l ऐसे पुरुष नारी को संरक्षण देते हैं और नि:स्वार्थ भाव से मुसीबत में उसकी रक्षा करते हैं l अब इस धरती पर कायरता बढ़ गई है l
हमने विदेशों से फैशन , आधुनिकता तो सीख ली , लेकिन जो वहां का सबसे बड़ा गुण है -- परिश्रम , किसी भी काम को छोटा न समझना , यह नहीं सीखा l गर्म जलवायु होने के कारण यहाँ लोगों में आलस बहुत है , फिर इस गर्म जलवायु में मांस - मदिरा और हर तरह के नशे के सेवन ने लोगों के मन व बुद्धि को बेलगाम कर दिया l
पुरुष प्रधान समाज होने के कारण समाज के लोग ही नारी के प्रति अपराध करने वाले को बचाते हैं ताकि उनकी गलतियों पर भी परदा पड़ा रहे , कौन किसे सजा दे ?
पहले के डाकुओं के भी सिद्धांत होते थे , कई ऐसे डाकू हुए जो कभी किसी की डोली नहीं लूटते थे , किसी भी नारी पर हाथ नहीं उठाते थे l लेकिन अब ऐसा नहीं है l नारी को , छोटी बच्चियों को सताने में पुरुष कितना नीचे गिर जायेगा इस की कल्पना नहीं की जा सकती l
बेटियों की सुरक्षा और सम्मान तो बहुत दूर की बात है , चैन से जीने भी नहीं देते l चाहे परिवार हो , समाज हो या कार्य स्थल हो ऐसे अहंकारियों के हिसाब से चलो , अपने आत्मसम्मान को छोड़कर उनके इशारे पर चलो , तब तो ठीक है अन्यथा चैन से जीने भी न देंगे l
अब जरुरत है कि ऐसी पाठशालाएं खुलें जो हर उम्र के पुरुष और नारी को नैतिकता की शिक्षा दे l चाहे छोटा पद हो या कोई बड़े से बड़ा पद हो , शिक्षा , स्वास्थ्य , प्रशासन हो या सेना , पुलिस आदि सभी क्षेत्रों में जो भी नियुक्ति हो उसे अपने पद की ट्रेनिंग के साथ नैतिकता और संवेदना का अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाये जिसमे विभाग का हर व्यक्ति सम्मिलित हो l इतने बड़े स्तर पर जब लोगों को यह अध्यात्म का पहला पाठ पढ़ाया जायेगा तब धीरे - धीरे लोगों की मानसिकता परिवर्तित होगी l
हमने विदेशों से फैशन , आधुनिकता तो सीख ली , लेकिन जो वहां का सबसे बड़ा गुण है -- परिश्रम , किसी भी काम को छोटा न समझना , यह नहीं सीखा l गर्म जलवायु होने के कारण यहाँ लोगों में आलस बहुत है , फिर इस गर्म जलवायु में मांस - मदिरा और हर तरह के नशे के सेवन ने लोगों के मन व बुद्धि को बेलगाम कर दिया l
पुरुष प्रधान समाज होने के कारण समाज के लोग ही नारी के प्रति अपराध करने वाले को बचाते हैं ताकि उनकी गलतियों पर भी परदा पड़ा रहे , कौन किसे सजा दे ?
पहले के डाकुओं के भी सिद्धांत होते थे , कई ऐसे डाकू हुए जो कभी किसी की डोली नहीं लूटते थे , किसी भी नारी पर हाथ नहीं उठाते थे l लेकिन अब ऐसा नहीं है l नारी को , छोटी बच्चियों को सताने में पुरुष कितना नीचे गिर जायेगा इस की कल्पना नहीं की जा सकती l
बेटियों की सुरक्षा और सम्मान तो बहुत दूर की बात है , चैन से जीने भी नहीं देते l चाहे परिवार हो , समाज हो या कार्य स्थल हो ऐसे अहंकारियों के हिसाब से चलो , अपने आत्मसम्मान को छोड़कर उनके इशारे पर चलो , तब तो ठीक है अन्यथा चैन से जीने भी न देंगे l
अब जरुरत है कि ऐसी पाठशालाएं खुलें जो हर उम्र के पुरुष और नारी को नैतिकता की शिक्षा दे l चाहे छोटा पद हो या कोई बड़े से बड़ा पद हो , शिक्षा , स्वास्थ्य , प्रशासन हो या सेना , पुलिस आदि सभी क्षेत्रों में जो भी नियुक्ति हो उसे अपने पद की ट्रेनिंग के साथ नैतिकता और संवेदना का अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाये जिसमे विभाग का हर व्यक्ति सम्मिलित हो l इतने बड़े स्तर पर जब लोगों को यह अध्यात्म का पहला पाठ पढ़ाया जायेगा तब धीरे - धीरे लोगों की मानसिकता परिवर्तित होगी l
No comments:
Post a Comment