Saturday 16 June 2018

अपराध और अत्याचार को समाप्त करने के लिए हमें हमारे महाकाव्य -- रामायण और महाभारत से शिक्षा लेनी होगी

   इस  संसार  में  सदा  से  ही  देवता  और  असुरों  में ,  अच्छाई  और  बुराई  में  संघर्ष  रहा  है  l    रामायण  से  हमें  समझना  होगा   कि  असुर  केवल  देवताओं  पर  आक्रमण   ही   नहीं  करते  , वे  उन  स्थलों  को  भी  अपवित्र  करते  हैं   जहाँ  से  देवत्व  का ,  सद्प्रवृतियों   का  निर्माण  होता  है   l  असुरों  ने  हमेशा  ऋषियों  के  आश्रम  को  निशाना  बनाया , यज्ञ,  हवन  को  अपवित्र   किया  l  उस  समय  में  आश्रम  में ,  गुरुकुल  में   बच्चे  अध्ययन  करते  थे  ,  उनकी  स्थिति  कितनी  दयनीय  हो  गई  होगी  यह  समझा  जा  सकता  है  l 
     आज  स्थिति  विकट  हो  गई  है  अपराधी  और  दुष्प्रवृति के  लोग  समाज  में  घुल - मिलकर  रहते  हैं  l  चेहरे  पर  शराफत  का  आवरण  होता  है   लेकिन  प्रवृति  तो  वही    आसुरी  है  l  वे  अपने  अपराध  को  अंजाम  देने  के  लिए   उस  असुरों  की  तरह  उन्ही  स्थलों  को  चुनते  हैं  जिन  पर  सामान्य  जनता  आसानी  से  शक  न  कर  सके  l   अब  भगवान  राम  जन्म  नहीं  लेंगे  ,   ईश्वर  चाहते  हैं   कि  सोया  हुआ  मनुष्य  अब  जागे , जागरूक  बने  ,  और   सच्चा  इनसान  बने  l
    कहते  हैं  जो  महाभारत  में  है  वही  इस  धरती  पर  है  l     महाभारत  काल  में  छल - कपट  अपनी  चरम  सीमा  पर  था   l    दुर्योधन  आदि  कौरवों  ने  छल  से  पांडवों  का  राज्य  भी  हथिया  लिया  ,  उन्हें  वन  भेज  दिया  और  चैन  से  जीने  भी  नहीं  दिया   l  तब  भगवान  कृष्ण  ने  अर्जुन  को  गीता  का  उपदेश  दिया  --  समस्याओं  से  डर  कर   भागना  नहीं  है ,   हाथ  पर  हाथ  रखकर  बैठना  नहीं  है ,  युद्ध  करो ,  कर्मयोगी  बनो   l  जो  कर्मयोगी  होता  है   उसके  जीवन  रूपी  रथ  की  बागडोर  भगवान  स्वयं  सँभालते  हैं   और   जिसके  साथ  ईश्वर  है   उसकी  विजय  निश्चित  है  l  























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