कहते हैं जिस व्यक्ति को अहंकार नहीं है उसे दुःखी करना असंभव है और जो अहंकारी है उसे सुखी करना असंभव है l
अहंकार नहीं है - ऐसा व्यक्ति हर हाल में खुश व तनाव रहित रहता है l कोई कुछ भी कहे कहता रहे , वह अपनी दुनिया में मस्त रहता है क्योंकि वह जानता है कि उसकी सच्चाई ईश्वर जानते हैं l
लेकिन जो अहंकारी है , वह अपने इस दुर्गुण से अपने ही जीवन को नर्क बना लेता है l अपने अहंकार की तुष्टि के लिए वह अपने ऊपर शराफत और श्रेष्ठ चरित्र का चोला डाल लेता है l
अच्छाई में एक अनोखा आकर्षण होता है इसलिए बुरे से बुरा व्यक्ति भी समाज में यश , प्रसिद्धि , सम्मान , बड़ा आदमी कहलाने के लिए अपने ऊपर अच्छाई का आवरण डाल लेता है l बस ! यहीं से उसके जीवन का कष्ट शुरू हो जाता है l देखने में लोगों को लगता है -- देखो कितना सुखी है , कितने ठाठ - बाट हैं , कितना सम्मान है , लेकिन इसके पीछे की सच्चाई ऐसा अहंकारी स्वयं जानता है कि अपने इस आवरण को कटने - फटने से बचाने के लिए उसे कितनो को खुश करना पड़ता , कितने लोगों की धौंस सहनी पड़ती है , न जाने कितनों की गुलामी करनी पड़ती है , अपने को सम्मानित कराने के लिए कितनों को खरीदना पड़ता है l यह सब बातें उसके जीवन को तनाव से भर देती हैं , उसकी नींद , उसका सुख - चैन सब छीन लेती हैं l
जो सीधी सरल जिन्दगी जीते हैं , जिसने अपनी कामनाओं - वासनाओं पर नियंत्रण रखा है , वे तनाव रहित रहते हैं , जब भी वक्त मिल जाये चैन की नींद सो लेते हैं l
एक बार वायसराय ने गांधीजी को मिलने को बुलाया l गांधीजी मिलने गए l वायसराय ने कहलवाया कि अभी पंद्रह मिनट की देर है , आप बैठें l गांधीजी ने कहा कि मैं रात भर का जगा हूँ , पंद्रह मिनट सो लूँगा तो सिर हलका हो जायेगा l झट से उन्होंने अपनी चादर सोफे पर लम्बी की और वहीँ सो गए l और पंद्रह मिनट बाद जब वायसराय आये तो वे उठ बैठे l उन्होंने कहा -- क्या बात है ! इतनी गहरी नींद आती है !
यह निर्णय प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं लेना है की उसे दिखावे का , डबल फेस का तनावपूर्ण जीवन जीना है या सीधा - सरल , खुली किताब सा जीवन शांतिपूर्ण ढंग से जीना है l
अहंकार नहीं है - ऐसा व्यक्ति हर हाल में खुश व तनाव रहित रहता है l कोई कुछ भी कहे कहता रहे , वह अपनी दुनिया में मस्त रहता है क्योंकि वह जानता है कि उसकी सच्चाई ईश्वर जानते हैं l
लेकिन जो अहंकारी है , वह अपने इस दुर्गुण से अपने ही जीवन को नर्क बना लेता है l अपने अहंकार की तुष्टि के लिए वह अपने ऊपर शराफत और श्रेष्ठ चरित्र का चोला डाल लेता है l
अच्छाई में एक अनोखा आकर्षण होता है इसलिए बुरे से बुरा व्यक्ति भी समाज में यश , प्रसिद्धि , सम्मान , बड़ा आदमी कहलाने के लिए अपने ऊपर अच्छाई का आवरण डाल लेता है l बस ! यहीं से उसके जीवन का कष्ट शुरू हो जाता है l देखने में लोगों को लगता है -- देखो कितना सुखी है , कितने ठाठ - बाट हैं , कितना सम्मान है , लेकिन इसके पीछे की सच्चाई ऐसा अहंकारी स्वयं जानता है कि अपने इस आवरण को कटने - फटने से बचाने के लिए उसे कितनो को खुश करना पड़ता , कितने लोगों की धौंस सहनी पड़ती है , न जाने कितनों की गुलामी करनी पड़ती है , अपने को सम्मानित कराने के लिए कितनों को खरीदना पड़ता है l यह सब बातें उसके जीवन को तनाव से भर देती हैं , उसकी नींद , उसका सुख - चैन सब छीन लेती हैं l
जो सीधी सरल जिन्दगी जीते हैं , जिसने अपनी कामनाओं - वासनाओं पर नियंत्रण रखा है , वे तनाव रहित रहते हैं , जब भी वक्त मिल जाये चैन की नींद सो लेते हैं l
एक बार वायसराय ने गांधीजी को मिलने को बुलाया l गांधीजी मिलने गए l वायसराय ने कहलवाया कि अभी पंद्रह मिनट की देर है , आप बैठें l गांधीजी ने कहा कि मैं रात भर का जगा हूँ , पंद्रह मिनट सो लूँगा तो सिर हलका हो जायेगा l झट से उन्होंने अपनी चादर सोफे पर लम्बी की और वहीँ सो गए l और पंद्रह मिनट बाद जब वायसराय आये तो वे उठ बैठे l उन्होंने कहा -- क्या बात है ! इतनी गहरी नींद आती है !
यह निर्णय प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं लेना है की उसे दिखावे का , डबल फेस का तनावपूर्ण जीवन जीना है या सीधा - सरल , खुली किताब सा जीवन शांतिपूर्ण ढंग से जीना है l
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