अनेक विद्वान जो बात कहते हैं उसका प्रत्येक व्यक्ति अपने संस्कार , अपनी इच्छाओं , आकांक्षाओं के अनुसार अर्थ निकलता है l जैसे यह कहा जाता है कि वर्तमान ही हमारे सामने है , उसका उपयोग करो l इसे अपना आदर्श वाक्य मानकर अधिकांश लोग वर्तमान में सारे सुख - वैभव , मौज - मस्ती में समय बिताते हैं , ऐसे लोगों का सोचना है कि कल किसने देखा आज मौज कर लो l
ऐसी सोच से जीवन परेशानियों से घिर जाता है l
जीवन में संतुलन जरुरी है l वर्तमान में सुख - सुविधाएँ आदि की व्यवस्था के साथ भविष्य के लिए पूंजी संचित करें , जो कठिन वक्त में हमारे काम आये l
लेकिन यह पूंजी केवल धन - सम्पति ही न हो , हम सत्कर्मों की पूंजी भी जोड़ें क्योंकि सत्कर्मों में वो ताकत है जिसके सहारे हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों से भी बचकर सुरक्षित निकल आते हैं l
ऐसी सोच से जीवन परेशानियों से घिर जाता है l
जीवन में संतुलन जरुरी है l वर्तमान में सुख - सुविधाएँ आदि की व्यवस्था के साथ भविष्य के लिए पूंजी संचित करें , जो कठिन वक्त में हमारे काम आये l
लेकिन यह पूंजी केवल धन - सम्पति ही न हो , हम सत्कर्मों की पूंजी भी जोड़ें क्योंकि सत्कर्मों में वो ताकत है जिसके सहारे हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों से भी बचकर सुरक्षित निकल आते हैं l
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