योग - आसन से शरीर तो स्वस्थ हो जाता है लेकिन यदि मन स्वस्थ नहीं है तो व्यक्ति इस स्वास्थ्य का प्रयोग गलत आदतों में करता है और परिणामत: फिर से अस्वस्थ रहने लगता है ।
इसलिए हमारे आचार्य , ऋषियों ने योग के साथ तप को आनिवार्य बताया है ।
योग और तप का जोड़ा है । यह तप पहाड़ों पर एकांत स्थान में संभव नहीं है । हमारे आचार्य ने , ऋषियों ने सामान्य व्यक्तियों के लिए तप का बहुत सरल रूप बताया हैं कि --- संसार में रहते हुए हम श्रेष्ठ भावना के साथ कर्तव्य पालन करें , घर -परिवार , व्यवसाय , सामाजिक - जीवन , कहीं भी कोई भी कार्य करें उसे पूर्ण मनोयोग से पूजा समझ कर करें तो यही कार्य हमारा तप कहलायेगा ।
ईमानदारी से किये गये ऐसे तप से ही जीवन में सफलता का पथ प्रशस्त होगा |
यदि संसार के वे सभी व्यक्ति जो योग करते हैं , ईमानदारी से कर्तव्य पालन का तप भी करने लगें तो उनके प्रखर व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अन्य भी कर्तव्य पालन करेंगे इससे अधिकांश समस्याएं स्वत: ही हल होने लगेंगी ।
इसलिए हमारे आचार्य , ऋषियों ने योग के साथ तप को आनिवार्य बताया है ।
योग और तप का जोड़ा है । यह तप पहाड़ों पर एकांत स्थान में संभव नहीं है । हमारे आचार्य ने , ऋषियों ने सामान्य व्यक्तियों के लिए तप का बहुत सरल रूप बताया हैं कि --- संसार में रहते हुए हम श्रेष्ठ भावना के साथ कर्तव्य पालन करें , घर -परिवार , व्यवसाय , सामाजिक - जीवन , कहीं भी कोई भी कार्य करें उसे पूर्ण मनोयोग से पूजा समझ कर करें तो यही कार्य हमारा तप कहलायेगा ।
ईमानदारी से किये गये ऐसे तप से ही जीवन में सफलता का पथ प्रशस्त होगा |
यदि संसार के वे सभी व्यक्ति जो योग करते हैं , ईमानदारी से कर्तव्य पालन का तप भी करने लगें तो उनके प्रखर व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अन्य भी कर्तव्य पालन करेंगे इससे अधिकांश समस्याएं स्वत: ही हल होने लगेंगी ।
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