Sunday 8 February 2015

शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए धैर्य होना अनिवार्य है

यदि   आप   सुख - शांति  से  जीवन  जीना   चाहते  हैं  तो  आपको  अपने   हृदय  में  धैर्य  को  विकसित  करना  होगा ------ और  धैर्य  तभी  होगा  जब  आपको  प्रकृति  पर , अज्ञात  शक्ति  पर  विश्वास  होगा  ।
हर  रात  के  बाद  सुबह  होती  है ,  संसार  की  कोई  भी  ताकत  सुबह  को  आने  से  रोक  नहीं   सकती  ।
धैर्य  का  मतलब  चुपचाप  बैठना  नहीं  है ,  हमें   विपरीत  और  कठिन  परिस्थितियों  पर   चारों  तरफ  से आक्रमण   करना  होगा --- 1. दुःख  में , विपरीत   परिस्थिति  में  स्वयं  को  सकारात्मक  कार्य  में  व्यस्त  रखे  2. अपनी  कठिनाइयों  की  चर्चा  संसार  से  न  करें ,  ईश्वर  से  कहें , चलते -फ़िरते , उठते -बैठते , कर्म  करते  हुए  मन -ही -मन  प्रार्थना  करें , कर्तव्य  पालन  करें
3 . प्रकृति  को  प्रसन्न  करने  के  लिए  निष्काम  कर्म  करें ,  सेवा , परोपकार  का  कोई  कार्य  अवश्य  करें
4. प्रकृति  हमारे  हर  विचार  की , हर कर्म  की  गवाह  है , इसलिए  हमें  बहुत  सजग  रहना  है , हम  कहीं  कोई   गलत  कार्य  न  करें -- ईश्वर  हमें  सद्बुद्धि  दें  ।
आज  संसार  की  अधिकांश  समस्याओं  का  कारण --- धैर्य  की  कमी  है  ।
हम  धैर्य  रखें , ईश्वर  के  प्रेम  पर  भरोसा  रखें , ईश्वर  हम  सबको  बहुत  चाहते  हैं , हमें  निखारने  के  लिए  ही  कठिनाइयां    रचते  हैं , परीक्षा  लेते  हैं  ।  हम  प्रयास  करें  कि  इन  परीक्षाओं  में  पास  हो  जायें  ताकि  ईश्वर  को  भी  अपनी  चाहत  पर  गर्व हो  ।   

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