आज के समय में व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जागरुक हो गया है लेकिन मन को स्वस्थ रखने का कोई प्रयास नहीं करता । स्वस्थ रहन के लिए व्यक्ति योग, आसन, प्राणायाम, करता है, नियमित रूप से जिम जाते हैं इससे शरीर में बहुत ऊर्जा पैदा हो जाती है । अब एक सामान्य व्यक्ति नियमित रूप से इतना सेवा-परोपकार का कार्य, निष्काम कर्म नही कर पाता कि उसकी इस ऊर्जा का पूर्ण प्रयोग हों जाये । एक सामान्य व्यक्ति के लिए तो कर्तव्य पालन ही तप है, विवेक और ईमानदारी के साथ कर्तव्यपालन करके ही अपनी ऊर्जा का समुचित विदोहन कर सकता है । आज लोगों के मन में इतनी अशांति है इसका प्रमुख कारण यही है कि व्यक्ति कर्तव्य पालन का तप पूर्ण रूप से नहीं कर रहा है ।
पारिवारिक जीवन में----- धन कमाना महत्वपूर्ण है इसलिए बच्चों को नौकरों के पास या संस्थाओं में छोड़कर पारिवारिक दायित्व से मुक्ति पा ली ।
विभिन्न कार्यालयों मे भी काम जल्दी कर सकते है लेकिन नहीं करते , फाइलों का ढेर जमा रहते है । कम्प्यूटर आदि विभिन्न साधन होते हुए भी जो काम तीन घंटे में हो सकता है उसे तीन महीने में करना ।
हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है । कार्य को धीमी गति से करने का माहौल बन गया है । जितना प्राप्त किया उतना चुकाया नहीं , कर्तव्य पालन में ईमानदारी और समर्पण भाव नहीं है इस कारण ऊर्जा का समुचित विदोहन नहीं हो पाता , प्रकृति नाराज हो जाती है और यह अतिरिक्त ऊर्जा क्रोध , चिड़ चिड़ा पन , तनाव आदि गलत दिशा में निकलती है ।
पारिवारिक जीवन में----- धन कमाना महत्वपूर्ण है इसलिए बच्चों को नौकरों के पास या संस्थाओं में छोड़कर पारिवारिक दायित्व से मुक्ति पा ली ।
विभिन्न कार्यालयों मे भी काम जल्दी कर सकते है लेकिन नहीं करते , फाइलों का ढेर जमा रहते है । कम्प्यूटर आदि विभिन्न साधन होते हुए भी जो काम तीन घंटे में हो सकता है उसे तीन महीने में करना ।
हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है । कार्य को धीमी गति से करने का माहौल बन गया है । जितना प्राप्त किया उतना चुकाया नहीं , कर्तव्य पालन में ईमानदारी और समर्पण भाव नहीं है इस कारण ऊर्जा का समुचित विदोहन नहीं हो पाता , प्रकृति नाराज हो जाती है और यह अतिरिक्त ऊर्जा क्रोध , चिड़ चिड़ा पन , तनाव आदि गलत दिशा में निकलती है ।
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