यह मानवीय स्वभाव है कि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को बिलकुल सही समझता हैं कि वह जो कुछ कर रहा है बहुत अच्छा कर रहा है लेकिन वास्तव में हमारा कार्य , व्यवहार सही है या नहीं यह जानने के लिए हम 15 मिनट एकांत में बैठें और ईश्वर का ध्यान कर यह सोचें कि जो व्यवहार आपने किसी के साथ किया वैसा ही व्यवहार कोई आपके साथ करे तो आपको कैसा लगेगा । ऐसा सोचने से पहले यह बिलकुल भूल जायें कि आप किसी बड़े पद पर हैं , उच्च जाति के हैं , धन -संपन्न हैं क्योंकि प्रकृति में , ईश्वर की न्याय व्यवस्था में सब आत्मा एक समान हैं , कोई बड़ा -छोटा नहीं ।
ऐसा विश्लेषण करने पर ही हम सही व गलत का अंतर समझ पायेंगे । जो बात हमें दुःखी व परेशान करती है वह दूसरे को भी करेगी ।
प्रतिदिन ऐसा विश्लेषण करने पर ही इस सत्य का एहसास होगा कि आपके व्यवहार से कितनी आत्माओं को कष्ट पहुंचा और कितनी आत्माएं सुखी हुईं ।
ऐसा विश्लेषण करने पर ही हम सही व गलत का अंतर समझ पायेंगे । जो बात हमें दुःखी व परेशान करती है वह दूसरे को भी करेगी ।
प्रतिदिन ऐसा विश्लेषण करने पर ही इस सत्य का एहसास होगा कि आपके व्यवहार से कितनी आत्माओं को कष्ट पहुंचा और कितनी आत्माएं सुखी हुईं ।
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