अधिकांश समस्याएं जो व्यक्ति को अशान्त करती हैं वे उसके पारिवारिक जीवन और उसके कार्यस्थल से संबंधित होती है । और इन समस्याओं का सबसे बड़ा कारण परस्पर ईर्ष्या-द्वेष है । ईर्ष्या-द्वेष के कारण ही परिवरों में सम्पति और धन संबंधी विवाद उत्पन्न होते हैं और ईर्ष्या के कारण ही कार्यस्थल पर व्यक्ति दूसरों को परेशान करता है ।
हम स्वयं का तो सुधार कर सकते हैं लेकिन ईर्ष्या करने वालों के कुचक्रों , षड्यंत्रों के बीच कैसे शान्त रहें, यह एक बड़ी समस्या है |
हम एक बात स्मरण रखें कि ईर्ष्यालु व्यक्ति अपना सारा समय ईर्ष्या में गंवाता है, योग्यता को नहीं बढाता अत: उसका व्यवहार कायरतापूर्ण होता है, वह स्वयं सामने नहीं आता, दूसरों के माध्यम से षड़यंत्रन रचता है । इनके बीच शान्त रहने का एक ही तरीका है कि इनकी ओर ध्यान न दें और अपनी योग्यता बढ़ाने के सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रहें ।
इसके साथ यह भी बहुत जरुरी है कि उसके षड्यंत्रों को विफल करने के लिए हम अपने विवेक को जाग्रत रखें । यदि हमारी सोच सकारात्मक है तो उनकी हर ओछी हरकत हमारे व्यक्तित्व को और प्रखर बना देगी और ऐसे ईर्ष्यालु लोग हर कदम पर हारेंगे ।
हम स्वयं का तो सुधार कर सकते हैं लेकिन ईर्ष्या करने वालों के कुचक्रों , षड्यंत्रों के बीच कैसे शान्त रहें, यह एक बड़ी समस्या है |
हम एक बात स्मरण रखें कि ईर्ष्यालु व्यक्ति अपना सारा समय ईर्ष्या में गंवाता है, योग्यता को नहीं बढाता अत: उसका व्यवहार कायरतापूर्ण होता है, वह स्वयं सामने नहीं आता, दूसरों के माध्यम से षड़यंत्रन रचता है । इनके बीच शान्त रहने का एक ही तरीका है कि इनकी ओर ध्यान न दें और अपनी योग्यता बढ़ाने के सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रहें ।
इसके साथ यह भी बहुत जरुरी है कि उसके षड्यंत्रों को विफल करने के लिए हम अपने विवेक को जाग्रत रखें । यदि हमारी सोच सकारात्मक है तो उनकी हर ओछी हरकत हमारे व्यक्तित्व को और प्रखर बना देगी और ऐसे ईर्ष्यालु लोग हर कदम पर हारेंगे ।
kya bat he mommy
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