शहर के कोलाहल से दूर पहाड़ों पर, सुरम्य स्थानों पर व्यक्ति जाता है कि कुछ दिन शान्ति से व्यतीत करें लेकिन यदि मन में ईर्ष्या, द्वेष, लालच आदि दुर्गुण हैं तो कहीं भी चले जायें शान्ति नहीं मिलेगी | लेकिन यदि हमारा अपने मन पर नियंत्रण है तो भारी शोरगुल के बीच भी हम शांत रह सकते हैं । बाहरी कोलाहल से हमें सिर दर्द, तनाव आदि की शिकायत नहीं होंगी ।
हम संसार को, परिस्थितियों को नहीं बदल सकते, यदि हमें शान्ति से जीना है तो स्वयं कों बदलना होगा । इसके लिए सबसे पहला क़दम यह उठायें कि अपने विचारों को प्रदूषित होने से बचायें | स्वयं कों सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रखें और जब भी फुर्सत हों, तो कोशिश करें और अपने धर्म में बताये गये दो-चार श्रेष्ठ वाक्यों को अपने मन में याद कर लें, इस तरह बुरे विचारों को मन में घुसने का मौका नहीं मिलेगा ।
हम संसार को, परिस्थितियों को नहीं बदल सकते, यदि हमें शान्ति से जीना है तो स्वयं कों बदलना होगा । इसके लिए सबसे पहला क़दम यह उठायें कि अपने विचारों को प्रदूषित होने से बचायें | स्वयं कों सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रखें और जब भी फुर्सत हों, तो कोशिश करें और अपने धर्म में बताये गये दो-चार श्रेष्ठ वाक्यों को अपने मन में याद कर लें, इस तरह बुरे विचारों को मन में घुसने का मौका नहीं मिलेगा ।
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