कहते हैं--- वीरता पुरुष का आभूषण है, लेकिन धन के लालच में लोगो ने इस आभूषण को उतार फेंका । अब लोग अपने चेहरे पर शराफत का मुखौटा लगाकर रहते हैं, समाज में यह दिखाना चाहते हैं कि वे कितने ईमानदार, नेक व चरित्रवान हैं और अपने दूसरे रूप में वे भ्रष्ट तरीके से धन कमाना और विभिन्न गलत कार्यों में लिप्त रहते हैं । ऐसे व्यक्ति सबसे ज्यादा अशांत रहते हैं, उन्हें हमेशा डर बना रहता है कि कहीं उनकी असलियत लोगों के सामने न आ जाये । उनका अधिकांश समय गलत कार्य करना और फिर उसको छिपाने के प्रयास में ही बीत जाता है ।
कितना भी छुपाओ, सच्चाई छुपती नहीं । समाज में लोग डर से, लालचवश उसे कुछ सम्मान दे दें, लेकिन चरित्र अच्छा न होने से ऐसे व्यक्ति को चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो परिवार में भी सम्मान नहीं मिलता । धन का लालच और स्वार्थवश बहुत मित्र व रिश्तेदार भी होते है लेकिन मुसीबत आने पर कोई साथ नहीं देता ।
आज समाज में ऐसे लोगों का बहुमत है जो दूसरों की गलतियों को उजागर करने की धमकी देकर उन्हें इस्तेमाल करते हैं ।
इसलिए उचित यही है कि जब भी समझ आ जाये हम इस मुखौटे को हटा दें, जैसे हैं वैसे दिखे, इससे बुरी आदते धीरे-धीरे दूर होंगी और मन शांत रहेगा ।
कितना भी छुपाओ, सच्चाई छुपती नहीं । समाज में लोग डर से, लालचवश उसे कुछ सम्मान दे दें, लेकिन चरित्र अच्छा न होने से ऐसे व्यक्ति को चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो परिवार में भी सम्मान नहीं मिलता । धन का लालच और स्वार्थवश बहुत मित्र व रिश्तेदार भी होते है लेकिन मुसीबत आने पर कोई साथ नहीं देता ।
आज समाज में ऐसे लोगों का बहुमत है जो दूसरों की गलतियों को उजागर करने की धमकी देकर उन्हें इस्तेमाल करते हैं ।
इसलिए उचित यही है कि जब भी समझ आ जाये हम इस मुखौटे को हटा दें, जैसे हैं वैसे दिखे, इससे बुरी आदते धीरे-धीरे दूर होंगी और मन शांत रहेगा ।
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