सन्मार्ग पर चलने के लिए , सद्गुणों को जीवन में अपनाने के लिए केवल विभिन्न तर्कों द्वारा समझाया जा सकता है , किसी को विवश नहीं किया जा सकता | इसी तरह व्यक्ति जानता है कि किन गलत आदतों से उसे हानि है फिर भी वह उन्हें छोड़ नहीं पाता है । प्रत्येक व्यक्ति अपने मन के आगे विवश है । लेकिन फिर भी कोई तर्क व्यक्ति को समझ में आ जाये तो बुराइयों को छोड़ना संभव है और जब बुराई छूटेगी तो उसका स्थान अच्छाई लेगी ।
जैसे -- जो व्यक्ति मांसाहार करते हैं उन्हें कितने भी तर्क दो मानेंगे नहीं , लेकिन जीवन में इसे छोड़ने का एक प्रयोग करके देखना चाहिए । आप एक महीने के लिए मांसाहार छोड़ दें और निष्काम कर्म नियमित रूप से अवश्य करें । इस छोटी सी अवधि में ही आप अपने विचारों में , जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य देखेंगे ।
जैसे -- जो व्यक्ति मांसाहार करते हैं उन्हें कितने भी तर्क दो मानेंगे नहीं , लेकिन जीवन में इसे छोड़ने का एक प्रयोग करके देखना चाहिए । आप एक महीने के लिए मांसाहार छोड़ दें और निष्काम कर्म नियमित रूप से अवश्य करें । इस छोटी सी अवधि में ही आप अपने विचारों में , जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य देखेंगे ।
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