धन - सम्पति जीवन के लिए बहुत जरुरी है लेकिन वर्तमान समय में धन को प्रतिष्ठा का चिन्ह बना दिया है इसलिए व्यक्ति ने धन कमाने में नैतिकता को छोड़ दिया है । वह किसी न किसी तरह अमीर होना चाहता है । अमीर बनने की इच्छा ने लोगों के ह्रदय की संवेदना को ही समाप्त कर दिया है ,
जिस जाति व धर्म में कन्या के विवाह में बहुत धन खर्च होता है , बहुत दहेज़ देना पड़ता है वहां लोग अपना धन बचाने के लिए गर्भ में ही कन्या की हत्या करा देते हैं और समाज में अपनी सम्पन्नता के आधार पर अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखते हैं । ऐसे लोग संकीर्ण मानसिकता के होते हैं, उनके मन में कहीं न कहीं इस बात की आशंका रहती है कि पर्याप्त दहेज न होने के कारण वे अपनी पुत्री का विवाह न कर पाये तो पढ़ी - लिखी आत्म निर्भर लड़की उनकी प्रतिष्ठा के विरुद्ध किसी अन्य जाति या धर्म में विवाह न कर ले ।
अपनी झूठी प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिए लोग दोहरा पाप करते हैं एक ओर माँ को बार - बार कष्ट सहन करना और दूसरी ओर कन्या भ्रूण हत्या जैसा कायरता पूर्ण कार्य !
वैज्ञानिक प्रगति के साथ ही मनुष्य का ह्रदय भी मशीन बन गया है जिसमे कोई संवेदना नहीं है , इसीलिए समाज में इतनी नकारात्मकता बढ़ गई है ।, भ्रूणहत्या, गौहत्या , दहेज़ के लिए अत्याचार , महिलाओं की समाज में असुरक्षा --- यह विकास नहीं है ।
यदि मन में शान्ति , समाज में शान्ति चाहिए तो जरुरी है कि लोग स्वयं को सुधारें । अपने शौक , अपनी पार्टियों में खर्च में कटौती करें , मांसाहार , शराब , सिगरेट आदि में मध्यम वर्ग का आय का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है । इन बुरी आदतों को छोड़ेंगे तो प्रतिमाह आय में से बहुत बचेगा , दहेज़ की समस्या ही नहीं रहेगी । जब ये बुराइयाँ छोड़ेंगे तो स्वयं का चरित्र अच्छा होगा , यह अच्छा चरित्र ही बच्चों को संस्कार में मिलेगा । फिजूलखर्ची पर नियंत्रण कर के ही शान्ति से रहा जा सकता है l
जिस जाति व धर्म में कन्या के विवाह में बहुत धन खर्च होता है , बहुत दहेज़ देना पड़ता है वहां लोग अपना धन बचाने के लिए गर्भ में ही कन्या की हत्या करा देते हैं और समाज में अपनी सम्पन्नता के आधार पर अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखते हैं । ऐसे लोग संकीर्ण मानसिकता के होते हैं, उनके मन में कहीं न कहीं इस बात की आशंका रहती है कि पर्याप्त दहेज न होने के कारण वे अपनी पुत्री का विवाह न कर पाये तो पढ़ी - लिखी आत्म निर्भर लड़की उनकी प्रतिष्ठा के विरुद्ध किसी अन्य जाति या धर्म में विवाह न कर ले ।
अपनी झूठी प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिए लोग दोहरा पाप करते हैं एक ओर माँ को बार - बार कष्ट सहन करना और दूसरी ओर कन्या भ्रूण हत्या जैसा कायरता पूर्ण कार्य !
वैज्ञानिक प्रगति के साथ ही मनुष्य का ह्रदय भी मशीन बन गया है जिसमे कोई संवेदना नहीं है , इसीलिए समाज में इतनी नकारात्मकता बढ़ गई है ।, भ्रूणहत्या, गौहत्या , दहेज़ के लिए अत्याचार , महिलाओं की समाज में असुरक्षा --- यह विकास नहीं है ।
यदि मन में शान्ति , समाज में शान्ति चाहिए तो जरुरी है कि लोग स्वयं को सुधारें । अपने शौक , अपनी पार्टियों में खर्च में कटौती करें , मांसाहार , शराब , सिगरेट आदि में मध्यम वर्ग का आय का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है । इन बुरी आदतों को छोड़ेंगे तो प्रतिमाह आय में से बहुत बचेगा , दहेज़ की समस्या ही नहीं रहेगी । जब ये बुराइयाँ छोड़ेंगे तो स्वयं का चरित्र अच्छा होगा , यह अच्छा चरित्र ही बच्चों को संस्कार में मिलेगा । फिजूलखर्ची पर नियंत्रण कर के ही शान्ति से रहा जा सकता है l
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