अनेक सद्गुण हैं , उनमे से यदि इन दो सद्गुणों ----- 1.कर्तव्यपालन , 2.ईमानदारी --- का पालन करना प्रत्येक के लिए अनिवार्य कर दिया जाये तो देश की 90 प्रतिशत समस्याएं आसानी से हल हो जायें । इन दो सद्गुणों के अभाव के कारण ही भ्रष्टाचार , जमाखोरी , दंगे , विभिन्न कार्यालयों में उत्पीड़न, अपराध बढ़ गये हैं
कर्तव्यपालन न करने से , अपने कार्य के प्रति ईमानदार न होने से व्यक्ति प्रकृति का ऋणी हो जाता है और यह हिसाब उसे अपने जीवन तथा अपने परिवार के सदस्यों के जीवन में आईं विभिन्न मुसीबतों , आपदाओं के रूप में चुकाना पड़ता है ।
बेईमानी और अनीति से कमाया धन कभी भी फलता नहीं है ।
किसी को ईमानदार बनने के लिए विवश नहीं किया जा सकता , यह तो विचारों में परिवर्तन से ही संभव है । भ्रष्टाचार और अनीति से धन कमाने वालों को अपने जीवन में झाँक कर देखना चाहिए कि ऐसे धन से क्या दुनिया के सारे सुख व शान्ति उनके पास है ?
आज ऐसे चिकित्सक की भी जरुरत है जो बड़ी - बड़ी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अपनी दवाएं लेने , योग आसन आदि करने के साथ सन्मार्ग पर चलना , ईमानदारी से कर्तव्यपालन करना अनिवार्य कर दें ।
क्योंकि सन्मार्ग पर चले बिना चाहे प्रारंभ में महँगी चिकित्सा , योग आदि से व्यक्ति स्वस्थ हो जाये लेकिन व्यक्ति के दुर्गुणों के कारण उसके जीवन में एक न एक समस्या बनी रहेगी ।
शरीर के साथ मन का इलाज बहुत जरुरी है , अपने बच्चों को विरासत में धन के भण्डार के साथ अपनी बीमारियाँ , अपनी बुराइयाँ न दें ।
' जब जागो तब सवेरा है ' जो बीत गया उसे बदल नहीं सकते लेकिन एक नई जिंदगी की शुरुआत तो कर सकते हैं |
कर्तव्यपालन न करने से , अपने कार्य के प्रति ईमानदार न होने से व्यक्ति प्रकृति का ऋणी हो जाता है और यह हिसाब उसे अपने जीवन तथा अपने परिवार के सदस्यों के जीवन में आईं विभिन्न मुसीबतों , आपदाओं के रूप में चुकाना पड़ता है ।
बेईमानी और अनीति से कमाया धन कभी भी फलता नहीं है ।
किसी को ईमानदार बनने के लिए विवश नहीं किया जा सकता , यह तो विचारों में परिवर्तन से ही संभव है । भ्रष्टाचार और अनीति से धन कमाने वालों को अपने जीवन में झाँक कर देखना चाहिए कि ऐसे धन से क्या दुनिया के सारे सुख व शान्ति उनके पास है ?
आज ऐसे चिकित्सक की भी जरुरत है जो बड़ी - बड़ी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अपनी दवाएं लेने , योग आसन आदि करने के साथ सन्मार्ग पर चलना , ईमानदारी से कर्तव्यपालन करना अनिवार्य कर दें ।
क्योंकि सन्मार्ग पर चले बिना चाहे प्रारंभ में महँगी चिकित्सा , योग आदि से व्यक्ति स्वस्थ हो जाये लेकिन व्यक्ति के दुर्गुणों के कारण उसके जीवन में एक न एक समस्या बनी रहेगी ।
शरीर के साथ मन का इलाज बहुत जरुरी है , अपने बच्चों को विरासत में धन के भण्डार के साथ अपनी बीमारियाँ , अपनी बुराइयाँ न दें ।
' जब जागो तब सवेरा है ' जो बीत गया उसे बदल नहीं सकते लेकिन एक नई जिंदगी की शुरुआत तो कर सकते हैं |
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