सुख और शान्ति हमारे विचारों पर निर्भर है । यदि हम किसी काम को बोझ समझ कर करेंगे तो बेहद थक जायेंगे लेकिन उसी काम को ईश्वर का दिया हुआ मानकर पूर्ण मनोयोग से करेंगे तो हमें अनोखा आनंद प्राप्त होगा और थकान भी नहीं होगी ।
हमारे आचार्य का ऋषियों का मत है कि---- योग और तप का जोड़ा है, योग के साथ तप अनिवार्य है और संसार में रहकर अपना कर्तव्य पालन करना, प्रत्येक कार्य को ईश्वर की पूजा समझकर समर्पित भाव से करना ही सबसे बड़ा तप है । निष्काम भाव से कर्म करने से मन निर्मल होता है | निर्मल मन से ही शान्ति और एकाग्रता संभव है ।
हमारे आचार्य का ऋषियों का मत है कि---- योग और तप का जोड़ा है, योग के साथ तप अनिवार्य है और संसार में रहकर अपना कर्तव्य पालन करना, प्रत्येक कार्य को ईश्वर की पूजा समझकर समर्पित भाव से करना ही सबसे बड़ा तप है । निष्काम भाव से कर्म करने से मन निर्मल होता है | निर्मल मन से ही शान्ति और एकाग्रता संभव है ।
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