जो गरीब हैं , उनके सामने तो एक ही समस्या है कि किसी तरह परिवार का पालन - पोषण हो जाये । उनके सामने तो पेट भरने की समस्या है । लालच , स्वार्थ , ईर्ष्या , भ्रष्टाचार --- ऐसी बातों से उन्हें कोई लेना - देना नहीं है । यह विशेषण तो अमीरों के लिए हैं , जिसके पास जितना धन - वैभव है , उसका लालच उतना ही बढ़ता जा रहा है , इस लालच और तृष्णा के कारण ही सारे मानवीय मूल्यों को व्यक्ति ने भुला दिया है । ऐसे लोग दूसरों का तो नुकसान करते ही हैं साथ ही अपने परिवार , अपनी आने वाली पीढ़ियों को गर्त में धकेल देते हैं ।
धन यदि ईमानदारी से कमाया जाये और उसका सदुपयोग किया जाये तो वह फलदायी होता है । लेकिन यदि गरीबों का शोषण करके , दूसरों को धोखा देकर , प्रकृति -पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर, गलत तरीके से जो धन कमाया जाता है वह अशान्ति का और पतन का कारण बनता है यह बहुत जरुरी है कि लोगों के भीतर चेतना जाग्रत हो ----- हम सब एक माला में गुंथे हैं --- हम का अर्थ है --- पहाड़ , पेड़ , नदियाँ , तालाब, जीव - जंतु , पशु - पक्षी , अमीर-गरीब , प्रकृति का एक - एक घटक सब एक माला में है , किसी एक को भी नुकसान पहुँचा कर सुख - शान्ति की उम्मीद नहीं की जा सकती ।
धन यदि ईमानदारी से कमाया जाये और उसका सदुपयोग किया जाये तो वह फलदायी होता है । लेकिन यदि गरीबों का शोषण करके , दूसरों को धोखा देकर , प्रकृति -पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर, गलत तरीके से जो धन कमाया जाता है वह अशान्ति का और पतन का कारण बनता है यह बहुत जरुरी है कि लोगों के भीतर चेतना जाग्रत हो ----- हम सब एक माला में गुंथे हैं --- हम का अर्थ है --- पहाड़ , पेड़ , नदियाँ , तालाब, जीव - जंतु , पशु - पक्षी , अमीर-गरीब , प्रकृति का एक - एक घटक सब एक माला में है , किसी एक को भी नुकसान पहुँचा कर सुख - शान्ति की उम्मीद नहीं की जा सकती ।
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