संगत किसी की भी हो उसका प्रभाव मनुष्यों पर पड़ता है l श्रेष्ठ चरित्र के व्यक्ति के साथ रहने पर सामान्य व्यक्ति भी सन्मार्ग पर चलने लगता है । कोई अच्छे चरित्र का व्यक्ति दुष्ट - दुराचारी के साथ रहने लगे तो उसका भी पतन शुरू हो जाता है ।
संगत चाहे मनुष्यों की हो या बेजान वस्तुओं की उसका असर मनुष्यों पर पड़ता ही है l घर में यदि अश्लील साहित्य है तो परिवार के बच्चे , बड़े उसे कभी न कभी पढ़ ही लेंगे और उसका जहर उनके मस्तिष्क में घुस जायेगा , वे गंदे विचार हर समय मन में उमड़ते रहेंगे , किसी भी कार्य में मन केन्द्रित नहीं हो पायेगा और धीरे - धीरे चारित्रिक पतन होने लगेगा l
जीवन बड़ा अनमोल है , प्रत्येक कदम बड़ा सोच - समझ के उठाना चाहिए । । जो व्यक्ति अपनी सुरक्षा के लिए या अन्य कारणों से अपने पास हथियार रखते हैं तो धीरे - धीरे वे बेजान हथियार भी मनुष्य के मस्तिष्क पर अपना असर दिखाने लगते हैं l हथियारों की संगत मनुष्यों को निर्दयी बना देती है और जब विभिन्न हथियार रखने वाले अपना समूह बना लेते हैं तो अत्याचार , अन्याय उनके स्वाभाव में आ जाता है l
आज के समय में ईश्वर विश्वास और सद्बुद्धि की सबसे ज्यादा जरुरत है । जिसकी मृत्यु की घड़ी आ गई है तो हजार सुरक्षा के इंतजाम भी उसे बचा न सकेंगे और यदि हमारे पास ईश्वर की दी हुई साँसे हैं , और सत्कर्म की पूंजी है तो बड़ी से बड़ी विपदा भी टल जायेगी ।
व्यक्ति जितना इंतजाम अपने सुख - वैभव , अपनी सुरक्षा के लिए करता है उसका एक बहुत छोटा सा भाग भी सत्कर्म में , , किसी सेवा कार्य में नि:स्वार्थ भाव से करे तो उसके सत्कर्म ही उसकी रक्षा करेंगे l
संगत चाहे मनुष्यों की हो या बेजान वस्तुओं की उसका असर मनुष्यों पर पड़ता ही है l घर में यदि अश्लील साहित्य है तो परिवार के बच्चे , बड़े उसे कभी न कभी पढ़ ही लेंगे और उसका जहर उनके मस्तिष्क में घुस जायेगा , वे गंदे विचार हर समय मन में उमड़ते रहेंगे , किसी भी कार्य में मन केन्द्रित नहीं हो पायेगा और धीरे - धीरे चारित्रिक पतन होने लगेगा l
जीवन बड़ा अनमोल है , प्रत्येक कदम बड़ा सोच - समझ के उठाना चाहिए । । जो व्यक्ति अपनी सुरक्षा के लिए या अन्य कारणों से अपने पास हथियार रखते हैं तो धीरे - धीरे वे बेजान हथियार भी मनुष्य के मस्तिष्क पर अपना असर दिखाने लगते हैं l हथियारों की संगत मनुष्यों को निर्दयी बना देती है और जब विभिन्न हथियार रखने वाले अपना समूह बना लेते हैं तो अत्याचार , अन्याय उनके स्वाभाव में आ जाता है l
आज के समय में ईश्वर विश्वास और सद्बुद्धि की सबसे ज्यादा जरुरत है । जिसकी मृत्यु की घड़ी आ गई है तो हजार सुरक्षा के इंतजाम भी उसे बचा न सकेंगे और यदि हमारे पास ईश्वर की दी हुई साँसे हैं , और सत्कर्म की पूंजी है तो बड़ी से बड़ी विपदा भी टल जायेगी ।
व्यक्ति जितना इंतजाम अपने सुख - वैभव , अपनी सुरक्षा के लिए करता है उसका एक बहुत छोटा सा भाग भी सत्कर्म में , , किसी सेवा कार्य में नि:स्वार्थ भाव से करे तो उसके सत्कर्म ही उसकी रक्षा करेंगे l
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